Monday, July 14, 2008
मधुमक्खी पालन में गोमूत्र लाभदायक
यहाँ के गोविंदवल्लभ पंत कृषि एवं तकनीकी विवि के शोधार्थियों ने गोमूत्र की विशेषता बताते हुए कहा है कि यह उनके लालन-पालन में महती भूमिका निभा सकता है। इन शोधार्थियों में से एक रुचिरा तिवारी इस विषय पर पिछले तीन वर्षों से अध्ययन कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि हमने मधुमक्खी पालन में गोमूत्र का प्रयोग किया और देखा कि 7-8 दिनों में पैदा हुई मधुमक्खियाँ काफी स्वस्थ थीं। इस प्रयोग को दोनों प्रकार की मधुमक्खियों पर किया गया था, जिनमें रानी मक्खी (जो अंडे देती है) और मजदूर मक्खियाँ शामिल हैं, जो शहद इकट्ठा करने के काम से लेकर सुरक्षा करने तक का काम देखती हैं।
गोमूत्र के प्रयोग के तरीके पर रुचिरा ने बताया कि यह मूत्र हम उन पर छिड़क देते हैं, जिसके बाद वो ज्यादा फुर्ती में दिखाई देती हैं। इससे मक्खी के अंडों में से लार्वा भी स्वस्थ होकर निकलते हैं और बचे अंडे भी अच्छी स्थिति में रहते हैं।
रुचिरा के अनुसार मधुमक्खी पालन में मक्खियों को लकड़ी के बक्से के अंदर रखा जाता है। यह एक कृत्रिम व्यवस्था है जिसमें उन्हें सूक्ष्मजीवी जनित बीमारियाँ होने का खतरा बना रहता है। यह मूत्र उन्हें बीमारियों से बचाने में सबसे अधिक कारगर सिद्ध होता है।
इन बीमारियों से बचाव के लिए दवा के उपयोग पर उन्होंने कहा कि दवाएँ बीमारियों के लिए जिम्मेदार कीटाणुओं को तो मार देती हैं, लेकिन उनका मक्खियों के लार्वा पर खराब असर होता है, जिससे उनके उत्पादन पर फर्क पड़ता है। गोमूत्र का उपयोग करने से इन दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
http://hindi.webdunia.com/news/news/regional/0807/10/1080710003_1.htm
Saturday, July 12, 2008
उत्तराखंड में तीन ग्रामीण बैंक केवल महिलाओं के लिए होंग
उत्तरांचल ग्रामीण बैंक उत्तराखंड में महिलाओं के लिए विशेषतौर पर तीन नई शाखाएं खोलने की योजना बना रही है। इनमें से देहरादून के इंदिरा नगर में स्थापित एक शाखा ने अपना काम भी करना शुरू कर दिया है जिसमें कि सभी महिला कर्मचारी हैं। |
सबसे दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं के लिए खोले गए इस बैंक में सिर्फ महिलाओं को ही खाता खोलने की अनुमति है जोकि उत्तराखंड में अपने आप में यह एक अनोखी पहल है। यह इस बैंक की 121वीं शाखा है और पौड़ी और पिथौरागढ़ में ऐसे ही अन्य शाखाएं खोली जा रही हैं। नाबार्ड की मदद से उत्तराखंड ग्रामीण बैंक की मुख्य शाखा में महिलाओं के लिए विशेष केन्द्र खोला गया है जिसका कि उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामजिक रूप से संपन्न बनाना है। http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=5565 उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष थ्रीश कपूर ने कहा कि हमारे इस विशेष कदम का उद्देश्य इस पर्वतीय राज्य की महिलाओं के प्रति विशेष सम्मान का परिचय देना चाहते हैं। उत्तरांचल ग्रामीण बैंक की स्थापना वर्ष 2006 में अलकनंदा बैंक, गंगा-यमुना बैंक और पिथौरागढ़ बैंक के विलय के पश्चात की गई थी। महिलाओं केलिए विशेष तौर पर खोले इस बैंक का प्रमुख उद्देश्य स्वयं-सहायता समूह और गैर-सरकारी संगठनों का ध्यान अपनी और आकर्षित करना है जिसमें कि महिलाओं की भागीदारी होती है। |
Wednesday, June 18, 2008
पनबिजली से तौबा की तैयारी
उत्तराखंड सरकार उत्तरकाशी और गंगोत्री नदी के बीच पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण कार्य को बंद करने पर विचार कर रही है। |
मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार उत्तराखंड की बिजली संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाती है तो उनकी सरकार पाला मनेरी और भैरो घाटी परियोजना को स्थगित करने के लिए तैयार है। खंडूड़ी इस संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रहे हैं। इस बीच भगीरथी पर पनबिजली परियोजनाओं के विरोध में राज्य के दिग्गज पर्यावरणविद् डॉ जी डी अग्रवाल का आमरण अनशन पांचवे दिन भी जारी रहा। माना जा रहा है कि चौतरफा दबाव बढ़ने के बाद सरकार ने भागीरथी पर पनबिजली परियोजनाओं के विकास से तौबा करने का पूरा मन बना लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने इस बात का संकेत दिया है कि अगर राज्य की बिजली आपूर्ति का जिम्मा केंद्र सरकार ले तो इस पवित्र नदी पर पनबिजली परियोजनाओं को रोकने में उन्हें कोई परेशानी नही है। लेकिन खंडूड़ी ने एक बात स्पष्ट तौर पर कही है कि चूंकि लोहारी नागपाला पर चल रही 600 मेगावाट की पनबिजली परियोजना एनटीपीसी के जिम्मे है, इसलिए उसे बंद करने का निर्णय भी केंद्र सरकार को ही लेना है। विरोध को समर्थन खंडूड़ी का बयान ऐसे समय में आया है जब भागीरथी पर पनबिजली प्रोजेक्ट पर विरोध कर रहे अग्रवाल को विश्व हिंदू परिषद और संघ परिवार ने समर्थन देने की बात की थी। भागीरथी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं के मामले पर गरमाती राजनीति के बाद मुख्यमंत्री ने इस तरह का बयान देकर नरम रवैया अपनाने का संकेत दिया है। अग्रवाल ने शुक्रवार से भागीरथी नदी के प्रमुख घाट मणिकर्णिका घाट पर इस प्रोजेक्ट को बंद करने की मांग करते हुए आमरण अनशन जारी किया था। इस समय उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। विश्व हिंदू परिषद ने इस बावत अपने केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया है कि वे अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में भागीरथी को बचाने के लिए अभियान चलाएंगे। उनका मानना है कि गंगा की शुद्धता का मामला पूरे देश के लिए एक अहम मसला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित संगठन हिंदू जागरण मंच ने भी इस मसले पर अग्रवाल के अनशन का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इसके पहले द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद ने भी भागीरथी को बांधों से घेरने का विरोध किया था। इस विरोध का समर्थन करने के लिए प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सुंदर लाल बहुगुणा, एम सी मेहता, राजेन्द्र सिंह भी अग्रवाल के साथ खुले तौर पर आ गए है। भागीरथी नदी पर बनने वाले बांधों में पाला मनेरी (480 मेगावाट), लोहारी नागपाला (600 मेगावाट), भैरों घाटी (381 मेगावाट), और जड़ गंगा (200 मेगावाट) आदि प्रमुख हैं। ऊर्जा राज्य बनने का सपना उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरणविद् 'भागीरथी बचाओ' अभियान चला रहे हैं और इस नदी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। उत्तराखंड देश के सबसे तेजी से उभर रहे राज्यों में से एक है। यह राज्य 'ऊर्जा राज्य' के रूप में काफी तेजी से विकसित हो रहा है। राज्य सरकार आने वाले तीन से दस साल में पनबिजली परियोजना के जरिए 25,000 से 30,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बना रही है। उल्लेखनीय है कि इस पहाड़ी राज्य में बिजली कारोबार के लिए रिलायंस एनर्जी, जीवीके, जीएमआर, एनएचपीसी, टीएचडीसी और एनटीपीसी जैसी बड़ी कंपनियां होड़ में हैं। लेकिन राज्य में बांधों को लेकर लोगों में विरोध बढ़ रहा है। राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले से लेकर गढ़वाल में चमोली तक, जितनी भी नई परियोजनाएं बनी हैं, उससे हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा। यही नहीं, कई शहरों और गांवों के लिए ये बांध मौत की घंटी भी साबित हुए हैं। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाएं नदी को खा जाएंगी। इन परियोजनाओं के तहत जो सुरंगें बनने वाली हैं, उनसे यहां की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। उत्तराखंड की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और वे यहां बनने वाले बांधों को लेकर काफी सहमे हुए हैं। अगर यहां निर्माण कार्य शुरू हो जाता है तो वे बेघर हो जाएंगे। भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाओं और उससे हजारों लोगों के बेघर होने की आशंका के मद्देनजर पर्यावरणविद् बीते तीन महीनों से राज्य के विभिन्न शहरों में रैलियां निकालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अंधेरा फैलाता तरल सोना पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े लोग बांध में जमा पानी को तरल सोने की संज्ञा देते हैं लेकिन इस सोने को जमा करने के लिए टिहरी में करीब एक लाख लोगों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ी थी। अब उत्तराखंड सरकार ने भी कह दिया है कि वह टिहरी जैसी परियोजनाओं के पक्ष में नहीं है। राज्य के पिथौरागढ़ जिले में 280 मेगावाट की धौलीगंगा परियोजना की राह में आने वाले अलीगढ़ गांव और उसके 24 परिवारों को उखड़ना पड़ा था। अलीगढ़ से 50 किमी की दूरी पर केंद्र सरकार अब 6,000 मेगावाट की पंचेश्वर पनबिजली परियोजना के निर्माण कार्य की योजना बना रही है। यह परियोजना भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर बनाया जाएगा। यह परियोजना टिहरी बांध के आकार की तीन गुनी होगी। यह आशंका जताई जा रही है कि इस परियोजना के निर्माण से करीब 80,000 लोग बेघर हो जाएंगे। यही नहीं, चमोली जिले के लोग भी विशाल सुरंग के निर्माण को लेकर काफी आक्रोशित हैं। इसके अलावा जोशीमठ के नजदीक अलकनंदा नदी पर भी एक मेगा प्रोजेक्ट की वजह से जोशीमठ नगर के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। भागीरथी पर बनने वाले बांध परियोजना का नाम क्षमता पाला मनेरी 480 मेगावाट लोहारी नागपाला 600 मेगावाट भैरो घाटी 381 मेगावाट जड़ गंगा 200 मेगावाट http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=4693 |
Friday, June 13, 2008
रेकॉर्ड तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं उत्तराखंड
उत्तराखंड की प्रसिद्ध चार धाम तीर्थ यात्रा इस समय चरम पर है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा पर देश ही नहीं विदेशों से भी तीर्थ यात्री भारी संख्या में आ रहे हैं। इस यात्रा के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़े स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। इस बार सरकार ने दो नई व्यवस्थाएं की हैं। इनमें से एक व्यवस्था इमरजेंसी रिस्पांस सेवा की है। इसके अंतर्गत कोई दुर्घटना होने अथवा स्वास्थ्य की गंभीर समस्या या अग्निकांड की स्थिति में टेलिफोन पर 108 नंबर डायल करने पर आधे घंटे के अंदर एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंच जाएगी। इसके अलावा पर्यटन पुलिस को पहली बार यात्रा मार्ग पर तैनात किया गया है।
रोचक बात यह है कि हेमकुंड जाने वाले यात्रियों में कई लोग मोटर साइकिलों पर आ रहे हैं। इसके अलावा बहुत से यात्री ट्रकों पर आ रहे हैं। इस बीच केदारनाथ में कुछ यात्रियों को अलग से दर्शन कराने को लेकर पंडों व पीएसी जवानों के बीच विवाद अब सुलझा लिया गया है। अब वी.आई.पी. यात्रियों का चिह्नीकरण करने की प्रक्रिया तय की गई है। वहीं पुलिस चौकी प्रभारी को बदल दिया गया है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3104532.cms
बड़े पनबिजली संयंत्रों से उत्तराखंड को है परहेज
दिनो-दिन बुलंद होते 'भागीरथी बचाओ' के नारे के साथ ही देश के जाने-माने पर्यावरणविद् जी डी अग्रवाल और उनके तमाम साथी पिछले दिनों अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर चले गए। |
इसके एक दिन बाद उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वह राज्य में बनने वाली बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के पक्ष में नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सिर्फ उन परियोजनाओं को मंजूरी देगी जो प्राकृतिक रूप से बहती नदियों पर बनाई जानी है और टिहरी जैसी बांध परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दी जाएगी। गांधीवादी विचारों का अनुसरण करने वाले 76 वर्षीय अग्रवाल चित्रकूट के रहने वाले हैं। देश की पवित्र नदियों में से एक भागीरथी पर एक के बाद एक बन रहे पनबिजली संयंत्रों के खिलाफ अग्रवाल और उनके साथी ने पिछले दिनों राज्य के उत्तरकाशी में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। अग्रवाल के साथ इस भूख हड़ताल में राजेंद्र सिंह, गोविंदाचार्य, सुनीता नारायण, वंदना शिवा और एम सी मेहता जैसे देश के जाने-माने पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। जिस दिन से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू की, उसे अग्रवाल ने 'गंगा दशहरा' का नाम दिया है। अग्रवाल ने कहा कि अगर ऐसे ही पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी मिलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश की सबसे पवित्र नदी भागीरथी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य में जो पनबिजली परियोजानाओं का निर्माण किया जाना है उनमें- पाला मनेरी, मनेरी भाली फेस-11, लोहरी नागपाल, कोटेश्वर, भैरव घाटी और जद गंगा आदि शामिल हैं। इन परियोजनाओं से पर्यावरण के लिए भी समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी। http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=4528 |
कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू
इस वर्ष की कैलाश मानसरोवर यात्रा का यह पहला जत्था है। यात्रियों की रवानगी में 13 दिन का विलंब हुआ तथा पहले तय किए दो जत्थों की यात्रा नहीं हो पाई। चीन सरकार ने घरेलू कारणों का हवाला देते हुए यात्रा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था। यात्रियों की रवानगी के अवसर पर उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रकाश पंत और सचिव राकेश शर्मा उपस्थित थे। ओम के मंत्रोच्चार और शंख ध्वनि के बीच यात्री रवाना हुए। राज्य सरकार की ओर से यात्रियों को पूजन सामग्री और रुद्राक्ष माला प्रदान की गई। इस यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम कर रहा है। यात्रियों का चयन और यात्रा कार्यक्रम विदेश मंत्रालय ने तय किया है।
उत्तराखंड सूचना केंद्र की एक विज्ञप्ति के अनुसार दिल्ली से कै लाश मानसरोवर और फिर वापसी की कुल यात्रा अवधि 26 दिन है। इस यात्रा के लिए कुमाऊं में धारचुला आधार शिविर हैं तथा आगे गाला, बूंदी, गुंजी, कालापानी और नामीढांग में कुल पांच शिविर बनाए गए हैं।
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_4539360/
पड़ोसियों से बिजली की साझेदारी
कुछ दिन पहले तक दूसरे राज्यों को बिजली बेचने की योजना बना रही उत्तराखंड सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर बिजली का साझा करने की इच्छुक जान पड़ती है। |
राज्य सरकार द्वारा संचालित उत्तराखंड जल विद्युत निगम बिजली सचिव को प्रस्ताव भेज चुकी है। पॉवर ट्रेडिंग कार्पोरेशन (पीटीसी) और विनर्जी इंटरनैशनल ने राज्य से बिजली खरीदने की मंशा जाहिर की है। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य से बिजली बेचने के संबंध में कोई भी फैसला मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी द्वारा ही लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के पास ही बिजली मंत्रालय का प्रभार है।' अधिकारी ने बताया, 'फिलहाल हम लोग पड़ोसी राज्यों के साथ बिजली साझा में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। बिजली बेचने आदि के बारे में हम लोग आगे सोचेंगे।' पीटीसी राज्य सरकार से 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने के लिए तैयार है। उसी वक्त विनर्जी ने भी निगम से बिजली खरीदने के लिए प्रस्ताव दिया था। विनर्जी ने 1 जून से पांच महीने के लिए 120 मेगावाट बिजली खरीद का प्रस्ताव किया। निगम 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन करती है। विनर्जी निगम से 5 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदना चाहती है। निगम के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि इन प्रस्तावों को सरकार के पास भेजा जा चुका है। इस पर सरकार अंतिम फैसला करेगी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड का दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के साथ बिजली का साझा करने संबंधी समझौता है। वह अपनी बिजली नहीं बेचता है। वैसे उत्तराखंड उत्तरी ग्रिड को करीब 50 लाख यूनिट बिजली सप्लाई करता है। प्रसाद ने बताया, 'मेरा मानना है कि पॉवर ट्रेडिंग कारपोरेशन जैसी बिजली कंपनियों को बिजली बेचना अच्छा सौदा हो सकता है।' निगम की स्थापित क्षमता 1,300 मेगावाट की है और वह वर्तमान में 770 मेगावाट उत्पादन करता है। निगम ने 2012 तक अपनी स्थापित क्षमता को 1,880 मेगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने राज्य में जलविद्युत को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना बर्नाई है। इसके तहत छोटी पनबिजली परियोजनाओं की स्थापना के लिए सहायता भी दी जा रही है। http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=4403 |