Wednesday, October 24, 2007

साहस : बाघ से भिड़ा ग्यारह वर्षीय विमल

रुद्रप्रयाग। ग्यारह वर्षीय विमल अदम्य साहस का परिचय देते हुए बाघ के बीच चली जोर आजमाइश से अपनी जान बचाने में सफल रहा, लेकिन वह अपने घोड़े को नहीं बचा सका।

यह घटना उस समय की है जब राजपाल ग्राम लौहार कुरझण निवासी का पुत्र विमल जंगल में अपने घोड़े के साथ गया हुआ था। बाघ ने मौका देखकर घोड़े पर धावा बोल दिया। इतने में पास में खडे़ ग्यारह वर्षीय विमल ने बाघ पर पत्थरों से हमला बोल दिया। जंगल के राजा को यह मंजूर नहीं था, वह विमल की ओर दौड़ पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी ओर बाघ पर पत्थरों से लगातार हमला करता रहा। इतने में गांव के लोग आवाज सुनकर वहां पहुंच गए और बाघ ने हार मानकर चले गया। विमल के पिता राजपाल ने बताया कि पुत्र को निकटवर्ती चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। उसे कुछ चोट भी आई है। उसने कहा कि घोड़ा उनकी जीविका का साधन था, इस घटना से उसकी आर्थिकी भी ठप पड़ गई है। वहीं क्षेत्र के लोगों ने इस बालक के अदम्य साहस को देखते हुए इसे पुरस्कार देने की मांग जिला प्रशासन से की है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3849414.html

Sunday, October 21, 2007

डा. कप्रवाण ने बढ़ाया राज्य का गौरव

रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग के डा. हुकम सिंह कप्रवाण ने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी सूबे का नाम रोशन किया है। इस वर्ष शांति के लिए नोबेल पुरस्कार को चुनी गई संयुक्त राष्ट्र संघ के इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) में डा. कप्रवाण बतौर वैज्ञानिक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी ने डाक्टर कप्रवाण की उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।

संयुक्त राष्ट्र संघ से संबद्ध संस्था आईपीसीसी व अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति अलगोरे को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। आईपीसीसी वैश्विक ताप वृद्धि और उसके प्रभाव पर कार्य करने वाले दुनिया की शीर्ष वैज्ञानिक संस्था है। संस्था को मानव जनित जलवायु के बारे में व्यापक ज्ञान संग्रहित करने, उसके प्रसार और ऐसे परिवर्तनों के प्रतिकूल काम करने वाले तरीकों को आधार बनाने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। जनपद रुद्रप्रयाग के रहने वाले डा. हुकम सिंह कप्रवाण वर्ष 1993 से आईपीसीसी के लिए कार्य कर रहे है। डा. कप्रवाण ने आईपीसीसी के तीसरे व चौथे कार्यकारी समूह के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने भारत व विश्व में ओजोन परत संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्ष 1944 में रुद्रप्रयाग जिले के बौंठा गांव में जन्मे डा. कप्रवाण ने माध्यमिक शिक्षा रुद्रप्रयाग में हासिल की। जिसके बाद डीएवी कालेज देहरादून से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद डीआरडीओ में वैज्ञानिक नियुक्त हुए। अपर निदेशक के पद से सेवानिवृत्त के बाद वह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के सदस्य नियुक्त हुए। इसके बाद आईपीसीसी से जुड़कर ओजोन परत संरक्षण में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए यूएनईपी सम्मान से नवाजे गए। डा. कप्रवाण की इस उपलब्धि पर प्रदेश के मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने उन्हे बधाई दी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3839307.html



Thursday, October 18, 2007

Alert in Uttarakhand wildlife areas

Dehradun (PTI): An alert has been sounded in the wildlife areas of Uttarakhand amid reports that poachers are targeting endangered species in the state.

The alert came after the wildlife department received some intelligence reports that three Bawaria gangs were roaming in the state. Each gang comprising five to six persons are also taking the help of some locals, the reports said.

Chief Wildlife Warden S K Chandola said forest guards are being instructed to maintain a high vigil particularly in those areas which are vulnerable to poaching.

Everest Industries to set up plant in Uttarakhand

Chandigarh (PTI): Building materials supplier Everest Industries on Monday said it will set up a manufacturing unit at Roorkee in Uttarakhand with an investment of Rs 75 crore to meet the growing demand of the construction sector.

"This green field plant will have manufacturing capacity of 50,000 tonnes of fibre cement boards and one lakh tonne of roofing products per annum," company's Vice-President (Marketing) Pankaj Banga told reporters here.

The plant would make roofing sheets, boards, light gauge steel frames to cater to both domestic and international markets.

"Besides handling domestic projects, this plant will also cater to demands from neighbouring countries such as Nepal, Bangladesh," he said.

The company has manufacturing facilities in Kymore (Madhya Pradesh), Kolkata, Coimbatore and Nashik.

The company, which aims to grow at a rate of 25 per cent, posted a 20 per cent growth in turnover at Rs 303 crore in 2006-07 against Rs 254 crore in the previous fiscal.

http://www.hindu.com/thehindu/holnus/006200710161340.htm

झील:खतरे में है ज्ञानसू व जोशियाड़ा

उत्तरकाशी। गंगा का प्रवाह थमते ही स्पष्ट हो गया है कि मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना की झील ज्ञानसू के कई आवासीय भवनों को भी समा लेगी। इन भवनों की सुरक्षा के लिए वर्तमान में कोई इंतजाम नहीं है।

304 मेगावाट की मनेरी भाली जल विद्युत द्वितीय चरण का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। ज्ञानसू में परियोजना की झील गुरुवार को पहली बार अस्तित्व में आई। गंगा का पानी नर्मदेश्वर मंदिर तक पहुंचा। झील के अस्तित्व में आने के बाद यह साफ हो गया है कि ज्ञानसू खतरे में है। झील का पानी ज्ञानसू ही नहीं बल्कि पुलिस लाइन को भी डुबा सकता है। झील के एक छोर पर ज्ञानसू और दूसरे पर जोशियाड़ा स्थित है। सिंचाई विभाग ने बैराज टेस्टिंग के लिए पहली बार पानी भरा, पानी का लेबल 10.99 रहा और अभी 1108 तक के लेबल तक झील बननी है। बैराज के एक कोने पर लगे पैमाने के बराबर झील बननी है और झील बनते ही यह स्पष्ट हो गया है कि पानी ज्ञानसू को डुबो सकता है। यही वजह भी रही कि सिंचाई विभाग ने 1099 लेबल तक पानी भरा और फिर बैराज के शटर खोल दिए गए। सिंचाई विभाग ने उस सर्वे रिपोर्ट को छुपा दिया जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि ज्ञानसू के 70 आवासीय भवन झील में समा जाएंगे जबकि ऊर्जा निगम के चैयरमेन योगेन्द्र प्रसाद ने राजधानी में हुई एक वार्ता में स्पष्ट कहा कि परिजयोजना के रिजवायर क्षेत्र में नए बने करीब 70 मकान खतरे में हैं और इन मकानों की सुरक्षा की जा रही है। ज्ञानसू के प्रभावितों ने सुरक्षा दीवार की मांग को लेकर एक बार फिर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में उल्लेख है कि नर्मदेश्वर टापू पर धरने के बाद उप जिलाधिकारी भटवाड़ी ने शासनादेश का हवाला देकर उन्हें धरने से तो उठा दिया किंतु सुरक्षा दीवार का निर्माण अभी भी शुरू नहीं हुआ है। प्रभावितों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाए कि विभागीय अधिकारियों ने जनता के धन का दुरुपयोग किया है और इसके लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3834277.html

हिमशिखरों ने ओढ़ी बर्फ की चादर

Oct 19, 02:17 am

रुद्रप्रयाग। लगातार हो रही बारिश के चलते जनपद के हिमशिखरों ने बर्फ की चादर ओढ़ ली है। इससे निचले क्षेत्रों का पारा तेजी से लुढ़का है। इसका असर ये रहा कि केदारपुरी समेत रामबाढ़ा तक बर्फवारी हुई।

केदारनाथ के आस-पास की चोटियों समेत पैदल मार्ग रामबाड़ा तक बर्फ से अटे हुए हैं। इससे केदारनाथ जाने वाले कई यात्रियों को आधे रास्ते से ही वापस गौरीकुण्ड लौटना पड़ा। इसके अलावा कालिशिला, तुंगनाथ में भी हल्की बर्फवारी हुई है। इन चोटियों में यह मौसम की पहली बर्फवारी है। ऊंची पहाड़ियों पर बर्फवारी होने से ठण्ड का प्रकोप बढ़ गया है। खासकर केदारनाथ में अत्यधिक ठण्ड के चलते तीर्थ यात्रियों समेत स्थानीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बर्फवारी का असर जनपद के निचले क्षेत्रों गौरीकुण्ड, फाटा, रामपुर, सीतापुर, सोन प्रयाग, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, मक्कूमठ, कालीमठ, मनसूना समेत कई क्षेत्रों में पड़ा है। ठंड के चलते लोगों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिये है। पहाड़ियां बर्फ पड़ने से चांदी के समान चमक रही है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3834191.html

विधायक ने दिये विकास कार्यो को पच्चीस लाख

रुदप्रयाग। केदारनाथ विधायक श्रीमती आशा नौटियाल ने अपनी विधायक निधि से प्रथम चरण में क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यो को पच्चीस लाख रुपये दिए हैं। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को स्वीकृत योजनाओं पर तत्काल कार्य प्रारम्भ करने के निर्देश दिए है।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि केदारनाथ क्षेत्र की विधायक श्रीमती आशा नौटियाल ने वित्तीय वर्ष के लिए विधायक निधि से प्रथम चरण में विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न विकास योजनाओं के निर्माण को लगभग पच्चीस लाख रुपये की स्वीकृति दी है। जिसमें रामलीला मैदान अगस्त्यमुनि में स्टेज भवन को भव्य रूप प्रदान करने के लिए 7.37 लाख रूपये, राजकीय इंटर कालेज कोटगी में विज्ञान प्रयोगशाला निर्माण को दो लाख, राइंका चोपता में कक्षा-कक्ष निर्माण को 2.50 लाख रुपये, साणेश्वर मंदिर शिल्याबामंण गांव के पास सौंदर्यीकरण को 2 लाख रुपये, कार्तिक स्वामी मंदिर मणिगुहा के पास सौंदर्यीकरण को 1.50 लाख, राउमावि नागजगई खेल मैदान निर्माण को 1.50 लाख रुपये, क्यूड़ी खड़पतिया मंदिर के पास सौंदर्यीकरण को 80 हजार रुपये, आसौं शिवालय के पास सौंदर्यीकरण को 80 हजार रुपये, दुर्गानगर रोडू कोरखी मिलन केन्द्र को 1.50 लाख रुपये, जलई सीसी मार्ग व औरिंग विद्यालय पुस्ता निर्माण को 70-70 हजार रुपये तथा जवाहर नगर जनोटा बनियाड़ी सीसी मार्ग के निर्माण के लिए 75 हजार रुपये सहित अन्य योजनाएं शामिल है।उन्होंने बताया कि विधायक ने मुख्य विकास अधिकारी को सभी स्वीकृत योजनाओं पर शीघ्र निर्माण कार्य प्रारम्भ करने के निर्देश जारी किए है।

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मासूम की जिंदगी पर गरीबी का दंश

गोपेश्वर (चमोली)। गांव के चौबारों और स्कूल के मैदान में जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, नौ वर्ष के एक मासूम के आगे अस्पताल ही सहारा बचा है। ममता की छांव में नौनिहाल का बचपन पल तो रहा है लेकिन लाड़ले की बीमारी के आगे मां का हृदय पैसों केअभाव में नियति के हाथों मजबूर है।

चमोली तहसील के ग्राम ग्वाड़ के इस परिवार में चार भाई-बहिनों में सबसे छोटे सात वर्षीय मोहित की जिंदगी सलामत रखने के लिए दुआ करने के सिवाय अन्य कोई चारा नहीं है। मोहित के पिता रघुनाथ सिंह का पूर्व में निधन होने के बाद माता पुष्पा देवी के ऊपर दो लड़कियों तथा दो लड़कों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ पड़ी है। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार पर पहाड़ तब टूट पड़ा, जब वर्ष 2005 में मोहित की किडनी में खराबी आ गई। हालात यह है कि गोपेश्वर, श्रीनगर व कर्णप्रयाग के अस्पतालों में इलाज करने के बाद भी उसकी बीमारी बढ़ती जा रही है। मामला संवेदनशीलता से जुड़ा होने के बावजूद अभी तक किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति ने मोहित के इलाज के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। पिछले माह गोपेश्वर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट के अलावा ग्वाड़ क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सतेंद्र रावत व देवेंद्र सिंह बिष्ट आदि ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज विवेकाधीन कोष से धन स्वीकृति की मांग की। उधर, जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को बालक का इलाज करने के निर्देश दिए। जिला अस्पताल में मौजूद सुविधाओं से इतर डाक्टरों के मुताबिक मोहित के नैफ्रोटिक सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित होने के कारण उसे इलाज के लिए श्रीनगर या जौलीग्रांट अस्पताल जाना पड़ेगा।

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रोजगार ग्रामीण योजना का 52 प्रतिशित लक्ष्य हासिल

गोपेश्वर (चमोली)। जनपद चमोली ने राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सितंबर माह तक 12 करोड़ 20 लाख रुपए राशि के सापेक्ष सात करोड़ 92 लाख रुपए व्यय कर 52 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है।

जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल ने बताया कि इस योजना के तहत अभी तक 552 ग्राम पंचायतों में 92522 श्रमिकों तथा 60023 परिवारों को पंजीकृत कर 59861 परिवारों को जाब कार्ड निर्गत किया गया। जिसमें से 27603 परिवारों को रोजगार मुहैया करवाया गया। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में 5508, दशोली में 7486, घाट में 6679, पोखरी में 7953, कर्णप्रयाग में 7851, नारायणबगड़ में 5693, थराली में 5093, देवल में 3970 तथा गैरसैंण में 9813 परिवार पंजीकृत किए गए। उन्होंने बताया कि योजना के तहत अलकनंदा भूमि संरक्षण वन प्रभाग ने रिंगाल रोपण, चाराघास उत्पादन के 122 कार्य, उद्यान विभाग ने टिशू कल्चर, केला उत्पादन, थराली, बचेर, रामणी व तूणगी में सुदृढ़ीकरण के 13 कार्य, नर्सरी, पशुपालन विभाग ने पीपलकोटी, बंगली, केदारकांठा, ग्वालदम में छह कार्य, हिमत्थोन परियोजना के तहत चारा विकास एवं घास रोपण के कार्य संचालित किए जा रहे है।

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स्कूलों से टीचर गायब, अस्पताल से चिकित्सक

गौचर (चमोली)। 86 ग्राम पंचायतों वाले कर्णप्रयाग विकासखंड के गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। गांवों में स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत, शिक्षा, संचार व यातायात की समस्याओं से लोगों को जूझना पड़ रहा है।

वर्ष 1960 में स्थापित इस प्रखंड में 178 प्राथमिक, 33 जूनियर हाईस्कूल, 4 संस्कृत महाविद्यालय, 13 राजकीय इंटर कालेज, 2 राबाइंका और 1 स्नातकोत्तर महाविद्यालय हैं। लेकिन अधिकांश विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं अधिकांश विद्यालय शिक्षा मित्र, शिक्षा बंधु व एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कर्णप्रयाग स्नातकोत्तर विद्यालय में भी वर्षो से कई विषयों में प्रवक्ताओं की कमी बनी हुई है। प्रखंड के सिमली, रतूड़ा, केदारूखाल, चूलाकोट, बणगांव, कनखुल, स्वर्का, बसक्वाली, गैरोली, नौटी, जाख, सुमल्टा, सुनाक आदि गांवों सहित नगर पंचायत क्षेत्र कर्णप्रयाग व गौचर में पेयजल की किल्लत बनी हुई है। करोड़ों रूपये व्यय करने पर भी पेयजल योजनायें लोगों की प्यास बुझाने में कभी कामयाब नही हो पाई। प्रखंड के अधिकांश गांवों में आज भी बिजली नहीं है। जहां गौचर, सिमली, झिरकोटी, सीरी, मटियाला, बगोली, चूलागबनी, कोटी, धारकोट, थापली, रतूड़ा, खंडूरा, नौटी, सिरण, ऐरवाड़ी आदि गांवों में लो-वोल्टेज व बिजली की समस्या बनी रहती है। कपीरी क्षेत्र के सेरागाड़ में लाईन बिछने के बाद भी ग्रामींणों को बिजली के दर्शन ही नही हो पाये हैं। लो-वोल्टेज की समस्या से निपटने को विभाग ने उचित क्षमता के विद्युत ट्रांसफार्मर नही लगाये। स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति तो और भी बदतर है। नगर सहित कुछ ग्रामींण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तो हैं लेकिन इनमें मानक अनुसार चिकित्सकों, कर्मचारियों व दवाओं का अभाव बना रहता है। अधिकांश गांवों में स्वास्थ्य का जिम्मा एएनएम पर है।

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वैज्ञानिक विधि से कृषि का लाभ अर्जित करें काश्तकार : शैलेंद्र

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। क्षेत्रीय विधायक शैलेंद्र सिंह रावत ने कहा कि काश्तकारों को वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अधिक लाभ अर्जित करना चाहिए। कृषि के साथ वानिकी से खुशहाली आने के साथ ही पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

भाबर क्षेत्र के अंतर्गत दलीपपुर सिगडडी में आत्मा परियोजना के तहत आयोजित किसान गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक ने कहा कि पारंपरिक खेती का मोह छोड़ काश्तकारों को खेती की वैज्ञानिक विधि अपनानी चाहिए। खेत में फसल उगाने के साथ ही मेढ़ों पर फलदार पेड़ लगाने से अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। क्षेत्र पंचायत प्रमुख सुमन कोटनाला ने जैविक खेती किए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि रसायन मुक्त फसल उत्पादन से ही स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। आत्मा परियोजना निदेशक डा. जीबी रतूड़ी ने कहा कि आत्मा परियोजना के तहत सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ काश्तकारों तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने भाबर क्षेत्र में कृषि स्नातकों व कृषि स्नातकोत्तर युवाओं के खेती से जुड़े होने को अनुकरणीय बताया। सहायक विकास अधिकारी कृषि मोहन लाल सकलानी ने योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई।

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खाद्य मंत्री ने गैस एजेंसी और गोदाम पर मारा छापा

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। प्रदेश के राजस्व और खाद्य आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट ने आज श्रीनगर में गढ़वाल मंडल विकास निगम की गैस एजेंसी और गैस गोदाम में छापा मारा। राजस्व और खाद्य आपूर्ति मंत्री ने खाद्यान्न गोदाम का भी आज आकस्मिक निरीक्षण किया। खाद्यान्न गोदाम में स्टॉक सही पाया गया। दो कर्मचारी अनुपस्थित मिले।

जनता को गैस सिलेंडर नहीं मिलने की शिकायतें मिलने पर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट आज संयुक्त अस्पताल के सामने स्थित निगम की गैस एजेंसी पर अचानक पहुंच गए। इस आकस्मिक निरीक्षण में गैस एजेंसी के अग्निशमन यंत्र सही नहीं पाए गए। गैस सिलेंडरों की आपूर्ति से सम्बन्धित रजिस्टरों की विस्तृत जांच करने के निर्देश भी उन्होंने उपजिलाधिकारी झरना कमठान और तहसीलदार जीआर बिनवाल को दिए। जिस पर प्रशासन ने रजिस्टर को अपने कब्जे में लिया। राजस्व और खाद्य आपूर्ति मंत्री ने गैस एजेंसी में उपस्थित कर्मचारियों को आदेश देते हुए कहा कि गांवों में भी घरेलू गैस सिलेंडरों की आपूर्ति सामान्य बनाएं। श्रीनगर शहर में शत प्रतिशत होम डिलीवरी करें। वरिष्ठ खाद्यान्न निरीक्षक एम मैठाणी ने खाद्यान्न आपूर्ति के बारे में विस्तार से जानकारी राजस्व मंत्री को दी। राजस्व मंत्री के निर्देश पर तहसीलदार ने बाद में अलकनंदा गैस एजेंसी और उसके गोदाम का भी आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण में सभी सामान्य मिला। राजस्व और खाद्य आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि रसोई गैस सिलेंडरों की कमी नहीं होनी चाहिए।

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घोटाला! 600 की कुर्सी खरीदी 6300 रुपये में

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। बेस चिकित्सालय में सामान्य स्तर की कुर्सी करीब 6300 रुपए में खरीदने से आज प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक भी हैरत में पड़ गए। कुर्सियों की हालत को देख उन्होंने माना कि यह कुर्सी अधिकतम 600-700 रुपए तक की ही होनी चाहिए। इस खरीद प्रकरण से सम्बन्धित सभी पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश उन्होंने गढ़वाल मंडल के अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा. आर्य को दिए।

बेस चिकित्सालय का आज करीब 6 घंटे तक किए गए औचक निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में यह मामला आया। बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि एक सामान्य कुर्सी को इतनी अधिक कीमत पर खरीदने को ऐतिहासिक भी मानते उन्होंने यह एक कुर्सी एडी स्वास्थ्य को अपने कार्यालय में बतौर मिसाल रखने के लिए भी कहा। प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब एक वर्ष पहले उत्तराखंड हैल्थ सिस्टम देहरादून द्वारा 12 कुर्सियां खरीदकर बेस चिकित्सालय को भेजी थीं। जब इन कुर्सियों की हालत और उनकी कीमत की जानकारी बेस चिकित्सा कर्मियों को मिली तो वह भी हैरत में थे। बताया जाता है कि बेस चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर के लिए हैल्थ सिस्टम प्रोडक्ट द्वारा इन कुर्सियों की खरीद की गई थी। अस्पताल में आने वाले रोगियों से बाजार से दवा खरीदकर लाने के लिए कहने को लेकर जब कुछ प्रकरण स्वास्थ्य मंत्री डा. निशंक के संज्ञान में आज बेस चिकित्सालय के औचक निरीक्षण के दौरान लाए गए तो उन्होंने इस प्रकरण को भी बहुत गंभीरता से लिया। बीपीएल श्रेणी के रोगियों को बाजार से दवा खरीदकर क्यों लानी पड़ी इसकी भी जांच एडी चिकित्सा स्वास्थ्य डा. आर्य तीन दिनों के अंदर कर रिपोर्ट देंगे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3828287.html

छापे में एक दर्जन से अधिक घरेलू गैस सिलेंडर जब्त

बागेश्वर। गैस सिलेंडर की कमी से निजात दिलाने के लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारी जीसी गुणवंत ने घरेलू गैस सिलेंडरों का व्यवसायिक उपयोग रोकने के लिए दुकानों में छापा मारकर एक दर्जन से अधिक सिलेंडर जब्त कर दिए। एसडीएम ने चेतावनी दी है कि दुकानों में घरेलू गैस सिलेंडर पाए जाने पर उसे जब्त कर दिया जाएगा।

जिलाधिकारी के बार-बार निर्देशों के बाद भी कुछ व्यवसायिक संस्थानों द्वारा व्यवसायिक सिलेंडरों के स्थान पर घरेलू गैस सिलेंडरों का प्रयोग किया जा रहा था जिसकी शिकायत मिलने पर उप जिलाधिकारी जीसी गुणवंत व जिला पूर्ति अधिकारी ने गुरुवार को नगर के कई दुकानों में छापा मारा तथा व्यवसायिक संस्थानों में गैस सिलेंडर का प्रयोग करने पर एक दर्जन से अधिक सिलेंडरों को कब्जे में ले लिया। श्री गुणवंत ने बताया कि यह अभियान जारी रहेगा उन्होंने स्पष्ट किया है कि किसी भी व्यवसायिक संस्थान में अगर घरेलू गैस सिलेंडर पाया गया तो उसे जब्त कर दिया जाएगा साथ ही व्यवसायिक संस्थान मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर दी जाएगी। उन्होंने इस अभियान में व्यापारियों से सहयोग की अपील की है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3833917.html

झील से नाव में सवार हुई कई गांवों की जिन्दगी

उत्तरकाशी। झील बनने के बाद नदी के उस पार स्थित प्रतापनगर क्षेत्र के लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। टिहरी सांसद विजय बहुगुणा ने इन गांवों में जाकर लोगों की व्यथा सुनी। लोगों ने अपनी पीड़ा उकेरते हुए बताया कि उनकी जिंदगी टीएचडीसी की नाव पर सवार होकर रह गई है। लोगों की इस हालत को देखने के बाद सांसद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कहा कि जनप्रतिनिधियों व टीएचडीसी के बीच बैठक करवाकर समाधान निकाला जाए।

टिहरी सांसद ने टिहरी डैम से प्रभावित हो रहे गांवों का भ्रमण किया। भ्रमण के बाद उन्होंने गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें बताया कि टिहरी डैम की झील से चिन्यालीसौड़ तक लोग परेशान हैं। झील का जल स्तर बढ़ने के साथ ही किनारे बसे कई गांवों में भूस्खलन सक्रिय हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की टीम भेजी जाए। मुख्यमंत्री को उन्होंने बताया कि घनसाली, चिन्यालीसौड़ एवं प्रताप नगर की जनता हर वक्त परेशान हैं। इस क्षेत्र के तमाम सड़क मार्ग पानी में डूब चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि झील के कारण नदी व गधेरों के पार थे उनसे सम्पर्क टूट गया है। ऐसे में मवेशियों के चारे की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। विजय बहुगुणा ने कहा कि गांवों की इन समस्याओं को लेकर जन प्रतिनिधियों एवं टीएचडीसी के अधिकारियों के बीच बैठक कर समस्या का समाधान निकाला जाए।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3834273.html

Sunday, October 14, 2007

शीघ्र खोले जाएंगे पांच सौ नए स्वास्थ्य केंद्र : निशंक

गोपेश्वर (चमोली)। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सरकार अब शीघ्र ही ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा देने के उद्देश्य से 500 नए स्वास्थ्य केंद्र खोलने जा रही है। इस पर अगले डेढ़ वर्षो के भीतर पूरी कार्रवाई की जाएगी।

जिला मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य के सभी चिकित्सालयों में चिकित्सकों की कमी के कारण होने वाली दिक्कतों को शीघ्र ही दूर कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 650 एमबीबीएस डाक्टरों की तुलना में मात्र 141 चिकित्सक ही उपलब्ध है, कमी को पूरा करने के लिए लोक सेवा आयोग को कहा गया है। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही 1 करोड़ की लागत से सचल चिकित्सालय तैयार किया जा रहा है जो दूर-दराज के क्षेत्रों तक जनता को सीधा लाभ पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा देने वाले डाक्टरों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उन्हे अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान की जाएगी तथा प्रत्येक जनपद में एक आयुष ग्राम बनाया जा रहा है, जहां पंचकर्म, आयुर्वेद आदि सुविधाएं एक साथ उपलब्ध होंगी। इस कार्यवाही हेतु भूमि चयन के लिए प्रत्येक जिलाधिकारी को निर्देशित कर दिया गया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3819653.html

आईटीबीपी ने ढूंढ निकाले तीन अन्य रशियन पर्यटक

गोपेश्वर (चमोली)। चीन सीमा के नजदीक गुजरते गंगोत्री-कालिंदी-अरबाताल ट्रेक पर रास्ता भटके तीन और रशियन पर्यटकों को आईटीबीपी ने ढूंढ निकाला है। समाचार लिखे जाने तक इन पर्यटकों से बदरीनाथ थाने में पूछताछ की जा रही थी।

पिछले दिनों उत्तरकाशी की सीमा से रशियन पर्यटकों का आठ सदस्यीय दल गंगोत्री-कालिंदी-बदरीनाथ ट्रेकिंग रूट पर निकला था लेकिन इस बात की जानकारी न तो उत्तरकाशी जिला प्रशासन को थी और न ही चमोली जिले के प्रशासन को। शुक्रवार को दल में से दो लोग किसी तरह से घसतौली स्थितआईटीबीपी के कैंप तक पहुंच गए। आईटीबीपी के जवानों ने जब इनसे पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनके साथ और लोग भी हैं, जो रास्ते में भटक गए हैं। यह दोनों पर्यटक हिम दंश के शिकार हो चुके थे। दोनों पर्यटकों को बीते रोज ही उपचार के बाद दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया। इसके बाद आईटीबीपी के जवान अन्य भटके लोगों की खोजबीन के लिए निकले और शनिवार देर रात घसतौली में स्थित आईटीबीपी के 11 सदस्यीय दल ने एक महिला समेत दो अन्य रशियन पर्यटकों को भी ढूंढ निकाला। रविवार के दिन इन पर्यटकों से स्थानीय प्रशासन व पुलिस के अधिकारी आवश्यक जानकारियां जुटाने में लगे रहे। जोशीमठ की उप जिलाधिकारी निधि यादव ने देर शाम बताया कि रशियन पर्यटकों के मुताबिक वे हर्षिल मार्ग से नहीं, गंगोत्री मार्ग से इस ओर आए है। रशियन पर्यटकों में महिला पर्यटक का नाम तात्याना है जबकि पुरुष पर्यटकों के नाम ग्रेविलो मिखाइल व यतंस्को मिखाइल है। खास बात यह है कि इन सभी पर्यटकों के पास प्रतिबंधित क्षेत्र में भ्रमण करने संबंधी सरकार अथवा प्रशासन की ओर से जारी किसी प्रकार का कोई अनुमति पत्र नहीं मिला। उधर, इनर लाइन में विदेशी पर्यटकों की बेरोकटोक आवाजाही पर प्रमुख सचिव आपदा प्रबंधन तथा गृह एनएस नपलच्याल ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह डीएम उत्तरकाशी से वस्तुस्थिति की जानकारी लेंगे तथा भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए दोनों जिलों के प्रशासन में आपसी तालमेल और मजबूत किया जाएगा।

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मुख्यमंत्री के भ्रमण से पूर्व अधिकारी जुटे होमवर्क मे

रुद्रप्रयाग। मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के 16 तारीख के जिला भ्रमण को लेकर प्रशासन के साथ ही सभी विभागीय अधिकारियों ने होमवर्क करना शुरू कर दिया है। जिले में मुख्यमंत्री के भ्रमण को लेकर भाजपा व आम जनता में काफी उत्साह है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद बीसी खंडूड़ी ने सबसे पहले रुद्रप्रयाग जनपद से ही अपना भ्रमण कार्यक्रम शुरू किया था, लेकिन उस समय उनका कार्यक्रम जिला मुख्यालय होने के बजाय ऊखीमठ विकासखंड तक ही था। जिला मुख्यालय में पहली बार वे जनसभा को संबोधित करेगे। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की खबर से भाजपा के साथ ही आम जनता में काफी उत्साह है। उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री अपने भ्रमण कार्यक्रम के दौरान कोई बड़ी घोषणा कर सकते है। भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी विजय कप्रवाण का कहना है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे है। ऐसे में मुख्यमंत्री के भ्रमण को लेकर आम जनता के साथ ही भाजपाइयों में भी भारी उत्साह है। वहीं पहली बार जनपद मुख्यालय में कोई मुख्यमंत्री आम जनसभा को संबोधित करेगा। मुख्यमंत्री के भ्रमण को लेकर प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। श्री खंडूड़ी के कार्यक्रम को लेकर अधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक सभी अधिकारी होम वर्क पर जुट गए है। मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की जनपद के केदारघाटी में स्थित सिद्धपीठ कालीमठ के प्रति गहरी आस्था है। अपने चुनावी समर की शुरुआत हो या फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद जनपद भ्रमण की शुरुआत करनी हो मुख्यमंत्री काली मां के आशीर्वाद लेने यहां जरूर पहुंचते है।



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स्विट्जरलैंड के कोनी को भायी पहाड़ की संस्कृति

रुद्रप्रयाग। स्विट्जरलैंड के कोनी को गढ़वाली संस्कृति कुछ इस तरह से भा गई है कि वह पिछले छह वर्षों से यहां आकर पहाड़ी रहन सहन को अपनाए हुए है। साथ ही यहां की संस्कृति का बारीकी से अध्ययन कर रहे है।

वर्ष 2001 से लगातार उत्तराखंड आ रहे स्विट्जरलैंड के कोनी बताते है कि उत्तराखंड की संस्कृति को लेकर विदेशों में खूब चर्चाएं होती है। उनके दोस्त के कहने पर ही वह यहां आए तथा उन्हे यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही यहां का शांत रहन सहन काफी पसंद है। उनका कहना है कि अब दिल्ली, मुंबई व अन्य बडे़ शहरों में विदेश जैसा वातावरण है, यहां तक कि मसूरी शांत जगह नहीं रही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के कई स्थानों में आज भी प्रकृति का खजाना मौजूद है। जो उन्हे पिछले छह वर्षो से लगातार खींचता आ रहा है। कुमाऊं के कैसानी में उसे एक टोपी पसंद आई जो कि वह लगातार पिछले छह वर्षो से वह पहन रहा है। पेशे से फोटोग्राफर कोनी ने बताया कि जिस शांत की तलाश उसने पूरे विश्व में की वह उसे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में आकर मिली। यहां की प्राकृतिक छटा से प्रभावित हो वह कहता कि यहां पर्यटन की बहुत संभावनाएं है जिसे एक चरणबद्ध तरीके से बढ़ावा देने की जरूरत है।



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Friday, October 12, 2007

विष्णुप्रयाग में बस अलकनंदा में गिरीे, 41 यात्रियों की मौत, 2 घायल

गोपेश्वर (चमोली)। बदरीनाथ धाम के दर्शन कर वापस लौट रहे उड़ीसा के तीर्थ यात्रियों से भरीबस के लगभग 300 मीटर नीचे अलकनंदा नदी में गिरने से उसमें सवार 41 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। दुर्घटना में दो लोग घायल हो गए, जिन्हें श्रीनगर बेस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल और पुलिस अधीक्षक पुष्कर सिंह सैलाल घटना स्थल के लिए रवाना हो गए हैं। उधर, प्रदेश के आपदा प्रबंध मंत्री दिवाकर भट्ट ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए राहत कार्य में तत्परता बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि चमोली के जिलाधिकारी के नेतृत्व में युद्ध स्तर पर राहत कार्य किया जा रहा है। श्री भट्ट के अनुसार देर शाम तक सभी शव निकाल लिए गए। उन्होंने बताया कि दुर्घटना की जानकारी उड़ीसा सरकार को दे दी गई है।

नौ अक्टूबर को दो बसों में उड़ीसा राज्य के यात्री बदरी केदार यात्रा के लिए निकले थे। उनमें से यूए 09 ए/5677 नंबर की इस बस में 43 यात्री सवार थे। जानकारी के अनुसार गुरुवार को अपराह्न दो बजे खुले गेट के बाद वाहनों का काफिला वापसी के लिए चला। लगभग पौने चार बजे जैसे ही एक बस विष्णुप्रयाग क्षेत्र में पहुंची, वहां स्थित पुल से लगभग 50 मीटर पूर्व ही वह गहरी खाई से लुढ़कती हुई अलकनंदा में जा गिरी। बस के कई पलटी खाने के बाद परखचे उड़ गए। इस वीभत्स दुर्घटना में 41 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलते ही उप जिलाधिकारी जोशीमठ निधि यादव तथा थानाध्यक्ष जीएस राठौर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। जहां-तहां बिखरे पड़े शवों को प्रशासन, सेना, पुलिस, रेस्क्यू टीम तथा फायर सर्विस के जवान किसी तरह सड़क तक लाए। एसडीएम निधि यादव ने बताया कि इस घटना में एक महिला तथा पुरुष यात्री गंभीर रूप से घायल हुए है, जिन्हे श्रीनगर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि बस में 43 यात्री सवार थे, जो उड़ीसा के खांडिमाई, मेदिनीनगर, कविसूर्यानगर, सदरपुर, दिगपाड़ा, पोलासारा, बीरगाडा, बुरुझारा, चिकिले, पुरुषोत्तमपुर, बनाझाली, पुरी, कोडाला, बेरहमपुर आदि इलाकों के रहने वाले हैं।

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रुद्रप्रयाग। दैवीय आपदा मद के अंतर्गत प्राप्त एक करोड़ रुपए में से अब तक 85 लाख रुपए विभिन्न विभागों को सरकारी परिसम्पत्तियों की मरम्मत को निर्गत किया

रुद्रप्रयाग। दैवीय आपदा मद के अंतर्गत प्राप्त एक करोड़ रुपए में से अब तक 85 लाख रुपए विभिन्न विभागों को सरकारी परिसम्पत्तियों की मरम्मत को निर्गत किया जा चुकाहै। यह जानकारी जिलाधिकारी ने दैवीय आपदा कार्याें की समीक्षा बैठक में दी।

जिलाधिकारी डी सेंथिल पांडियन ने बताया कि लोनिवि, जल निगम, जल संस्थान, जिला पंचायत, विद्युत ग्रामीण अभियंत्रण तथा सिंचाई आदि विभागों की ओर से प्रस्तुत आगणन एवं जन सुविधाओं के मद्देनजर प्राथमिकता के आधार पर दैवी आपदा मद से धनराशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने दैवी आपदा से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों की मरम्मत को वर्ष 2005-06 में कई विभागों को धन उपलब्ध कराए जाने के बाद भी कार्य पूर्ण न करने पर नाराजगी व्यक्त की। गत तीन वर्षो से कार्य पूर्ण करने पर उन्होंने संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश देते कहा कि कार्यो को समयबद्धता, गुणवत्ता एवं पुराने कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करे। जिलाधिकारी ने कहा कि 15 अक्टूबर तक लम्बित अवशेष कार्यो की समस्त औपचारिकताएं, विभागों से मांगी गई धनराशि तथा अब तक प्राप्त एवं अवशेष मांगों को विवरण के साथ ही वित्तीय एवं भौतिक सूचनाएं प्रस्तुत की जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश देते कहा कि दैवीय आपदा के कार्यो में तेजी लाई जाए।

भूकंपरोधी तकनीकी से करे भवन निर्माण : पांडियन

ुद्रप्रयाग। जिला अधिकारी डी.सेंथिल पांडियन ने कहा कि शासकीय भवनों के निर्माण के साथ-साथ अ‌र्द्ध सरकारी, व्यक्तिगत एवं संस्थाओं से बनाए जा रहे भवनों के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीकी का उपयोग किया जाए और इसकी जानकारी आम जनता को दी जानी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर जिला कार्यालय सभागार में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने भवनों के निर्माण में भूकंप अवरोधी तकनीकी अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के माध्यम से बनाए जा रहे प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर, मिलन केंद्र तथा अन्य भवनों में भूकम्प अवरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जाना अत्यंत आवश्यक है। संबंधित विभाग को निर्माण के दौरान निरंतर अनुश्रवण करना होगा। जिलाधिकारी ने कहा कि केवल भूकंप अवरोधी डिजायन आवश्यक नहीं, बल्कि निर्माण सामग्री भी उच्च गुणवत्ता की होनी आवश्यक है। साथ ही निर्माण करने वाले राजमिस्त्री भी प्रशिक्षित होने चाहिए। उन्होंने समस्त कार्यालयों में आपदा टीम गठित करने के निर्देश देते हुए कहा कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही सम्बन्धित टीम के लोग बिना किसी निर्देश के स्वत: पूरे साजो समान एवं चिकित्सकीय सुविधा के साथ तुरंत घटना स्थल पर पहुंचना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जिलाधिकारी ने आपदा न्यूनीकरण के सभी छह प्रकोष्ठों को वायरलेस सेट उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये गये।

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नरेश और राहुल का राष्ट्रीय स्तर पर चयन

अगस्त्यमुनि (रुद्रप्रयाग)। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर में 'प्रति बूंद अधिक उपज' विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय क्विज प्रतियोगिता में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के छात्र नरेश अग्रवाल व राहुल सिंह चौहान का राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है।

पंत नगर विवि के सौजन्य से राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्रों तथा रिसर्च स्कालरों की दो दिवसीय पोस्टर व क्विज प्रतियोगिता संपन्न हुई, जिसमें 52 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में कुमांऊ विवि प्रथम, गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार द्वितीय तथा गढ़वाल विवि तृतीय स्थान पर रहा। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि से प्रतियोगिता में भाग लेने गए छात्र नरेश अग्रवाल व राहुल सिंह चौहान का चयन राष्ट्रीय स्तर के लिए किया गया है। नरेश अग्रवाल बीएससी द्वितीय व राहुल चौहान प्रथम वर्ष के छात्र है।

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कृषि मेलों से जागरूक होंगे कृषक : आशा

ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग)। प्रखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत नारायण कोटी में कृषि प्राविधिकी प्रबंधन अभिकरण(आत्मा) परियोजना के तहत आयोजित कृषि एवं एग्री बिजनेस मेले में क्षेत्रीय विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि कृषि मेलों के आयोजन से कृषक जागरूक होंगे जिससे कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा। मेले में कृषकों ने पांच हजार रूपये तक के कृषि यंत्रों की खरीददारी की। जनपद के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि विभाग कृषि मेलों का आयोजन कर रहा है। विकास खंड ऊखीमठ की सुदूरवर्ती ग्राम पंचायत नारायणकोटी में आतमा परियोजना के तहत क्षेत्रीय कृषकों के लिए कृषि एवं एग्री विजनेश मेला आयोजित किया गया। मेले में कई गांवों के कृषकों ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर मेले का शुभारम्भ करते हुए केदारनाथ क्षेत्र की विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि कृषि मेलों के माध्यम से ही ग्रामीण क्षेत्रों के कृषकों को विभागीय योजनाओं की महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती है। पारंपरिक फसलों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र में मडुवा, रामदाना व तोर की खेती सबसे अधिक की जाती है। जैविक उत्पाद परिषद द्वारा मडुवा की मांग की जा रही है, इसलिए क्षेत्र की महिला समूहों को इसका विक्रय कर अच्छा लाभ कमाना चाहिए।

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Wednesday, October 10, 2007

पालीटेक्निक संचालित करने की मांग को लेकर हाइवे जाम

रुद्रप्रयाग। रतूड़ा में तकनीकी शिक्षा केंद्र पालीटेक्निक संचालित करने की मांग को लेकर क्षेत्रीय लोगों ने रतूड़ा में एक घंटे रुद्रप्रयाग-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में जाम किया। तहसीलदार के आश्वासन के बाद जाम खोला गया। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि एक माह के भीतर कार्यवाही नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत रतूड़ा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय ग्रामीण रतूड़ा में पालीटेक्निक संचालित करने की मांग को लेकर रुद्रप्रयाग-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक घंटे तक चक्काजाम किया। जाम के चलते दोनों ओर वाहनों की कतारे लगी रही। मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने आंदोलनरत लोगों को शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया, जिस पर आंदोलनरत लोग जाम खोलने को राजी हुए। गौरतलब है कि जनपद का पालीटेक्निक रुदप्रयाग के नाम से चमोली जिले के गौचर में संचालित हो रहा है, जबकि रतूड़ा के लोग पालीटेक्निक को इस स्थान पर संचालित करने की पूर्व से मांग करते आ रहे है। कार्यवाही न होने पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं लोगों ने आक्रोशित होकर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किया। वहीं चेतावनी दी कि यदि एक माह के अंदर पालीटेक्निक रतूड़ा में संचालित करने की कार्यवाही नहीं की गयी तो आंदोलन को उग्र किया जाएगा।

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फिल्म बनाना भी जारी रखेंगे राज बब्बर

रुद्रप्रयाग। बालीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता राज बब्बर ने कहा कि वह राजनीति के साथ ही फिल्मों के निर्माण में भी सक्रिय रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य से काफी आकर्षित हुए है। फिल्म अभिनेता ने आज केदार बाबा के दर्शन भी किए।

केदारनाथ के दर्शन को अकेले ही यहां पहुंचे फिल्म अभिनेता राज बब्बर ने जागरण से एक भेंट में बताया कि उनकी तमन्ना जनहित के कार्यो को लगातार करते रहने की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में वह पहली बार आए है। यहां उन्हे अन्य पहाड़ी क्षेत्रों से अलग सौंदर्य देखने को मिला। उन्होंने कहा कि यहां फिल्म शूटिंग की अपार संभावनाएं है। इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्थानीय लोगों ने भी उनसे भेंट कर उनका स्वागत किया व राज्य में फिल्म को बढ़ावा देने के लिए योगदान देने का निवेदन किया। एक व्यावसायिक हेलीकाप्टर से बुधवार की सुबह केदारनाथ पहुंचकर फिल्म अभिनेता ने विशेष पूजा की। केदारनाथ में हिमालय के अलौकिक सौंदर्य से भी वह काफी खुश हुए। उन्होंने कहा कि जब भोले बाबा का बुलावा आएगा, वह फिर सपरिवार आएंगे। उन्होंने कहा कि बेटी की शादी के बाद उनके मन में भोले बाबा के दर्शन करने की इच्छा जागृत हुई।

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आंदोलनकारी को न्याय की दरकार

चोपड़ा (रुद्रप्रयाग)। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान संसद कूच कर पूरे देश का ध्यान राज्य निर्माण की मांग की ओर आकर्षित करने वाले राजेंद्र सेमवाल की राज्य बनने की हसरत तो पूरी हो गई, लेकिन आज वह इस राज्य में घुटन महसूस कर रहा है। उसकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वह मानसिक संतुलन खराब होने के कगार पर है।

29 नवंबर, 1995 को धारकोट निवासी राजेन्द्र सेमवाल ने अपने तेरह साथियों के साथ दिल्ली में संसद कूच के दौरान पुलिस बैरियर तोड़ कर संसद में घुसने का प्रयास किया। संसद में घुसने से पूर्व ही पुलिस ने इस सभी को गिरफ्तार कर जेल तिहाड़ जेल भेज दिया था। राजेंद्र व उसके साथी तेरह दिन तक जेल में रहे थे। सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास करने के बाद भी उन्हें शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार होना पड़ा। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में आंदोलनकारियों को सरकार ने नौकरी व पेंशन का लाभ दिया था, लेकिन राजेंद्र को न तो नौकरी मिली और नहीं पेंशन, बल्कि बार-बार शासन व प्रशासन स्तर पर कोरे आश्वासन ही मिलते रहे, जिसके चलते आज वह अपनी आजीविका चलाने के लिए भटक रहा है। आंदोलनकारी राजेन्द्र सेमवाल का कहना है कि वह कई बार आंदोलन से जुड़े हुए अपने सभी दस्तावेज शासन-प्रशासन के सामने रख चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेज कर अपना दुखड़ा रोया है। उन्होंने पत्र में कहा कि सात माह पूर्व ही वह सभी आवश्यक कागजात जिला प्रशासन को उपलब्ध करा चुके है लेकिन इसके बाद भी उनके तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया जा गया है। ऐसे में वह अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। उधर, संपर्क करने पर उपजिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने बताया कि आंदोलनकारी का पत्र प्रशासन को मिला है, जिसकी जांच की जा रही है।

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काउंसिलिंग नहीं हुई तो प्रशिक्षित जाएंगे हाईकोर्ट

रुद्रप्रयाग। विकासखंड जखोली के अंतर्गत हिमालयन लाज मयाली में बीएड/एलटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ की बैठक आयोजित की गई। जिसमें निर्णय लिया गया कि यदि प्रदेश सरकार पूर्व में प्रकाशित विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण की विज्ञप्ति के अनुसार रिक्त 530 पदों के लिए राज्य स्तरीय काउंसिलिंग आयोजित नहीं करती तो संघ हाईकोर्ट में जाने को मजबूर होगा।

बैठक में प्रशिक्षित बेरोजगारों ने कहा कि पूर्व में प्रकाशित विज्ञप्ति के मुताबिक विज्ञान वर्ग सामान्य कला वर्ग व आरक्षित वर्ग में अभ्यर्थी न मिलने पर रिक्त पदों पर अभ्यर्थियों के चयन के लिए राज्य स्तरीय कांउसिलिंग आयोजित कर अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। बावजूद इसके तीन माह बीतने के बाद भी काउंसिलिंग का आयोजन नहीं किया गया। संघ के वेद निधि सकलानी ने कहा कि प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में 530 पदों पर विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के लिए अभ्यर्थियों का चयन होना शेष है। रिक्त पदों पर प्रशिक्षण के लिए शीघ्र राज्य स्तरीय काउंसिलिंग आयोजित कर अभ्यर्थियों का चयन सुनिश्चित किया जाए। संघ की मीना सिंगवाल ने कहा कि यदि शीघ्र ही इस दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो प्रशिक्षित बेरोजगार संघ हाईकोर्ट में जाने को मजबूर होगा।

जर्जर बना झूला पुल

रुद्रप्रयाग। जिला मुख्यालय के समीप मंदाकिनी नदी पर बने भरदार पट्टी को जोड़ने वाले झूला पुल की स्थिति जर्जर बनी हुई है। अब इस पुल पर आवाजाही करने में लोग कतरा रहे है।

जनपद मुख्यालय में लोनिवि द्वारा पांच दशक पूर्व मंदाकिनी नदी पर भरदार पट्टी को जोड़ने के लिए बनाया गया चालीस मीटर लंबा झूला पुल एक छोर से जर्जर हो गया है। यहां काफी बड़ा गड्ढा बन गया है जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। जवाड़ी, रौठिया, डुंगरी, दरमोला, स्वीली व सेम सहित कई गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए एकमात्र यही पुल है। उक्रांद के केंद्रीय सचिव किशोरी नंदन डोभाल व दरमोला गांव निवासी जयपाल पंवार ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि जिला मुख्यालय के समीप होने के बाद भी पुल को ठीक नहीं किया जा रहा है। उन्होंने संबंधित विभाग से तत्काल पुल के मरम्मत की मांग की है। इस संबंध में लोनिवि के अधिशासी अभियंता ओमप्रकाश ने बताया कि पुल के मरम्मत के लिए दैवीय मद से एक लाख 55 हजार रुपये स्वीकृत हो चुके हैं तथा इस टेण्डर भी पड़ चुके हैं, शीघ्र ही कार्य शुरू किया जायेगा।

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मानसिक रोगियों के लिए चलाया जायेगा जागरूकता अभियान

रुद्रप्रयाग। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में मानसिक रोगियों के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा सप्ताह चलाया जा रहा है, जिसके तहत मानसिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।

राष्ट्रीय विधिक सेवा सप्ताह का शुभारम्भ बुधवार को जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष नारायण सिंह धानिक ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस सेवा सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान चलाकर मानसिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्तियों को चिह्नित किया जायेगा तथा उन्हे स्वास्थ्य अधिनियम के तहत दी जाने वाली विशेष सुविधाओं, देखभाल एवं आवश्यक सुरक्षा दी जायेगी। श्री धानिक ने कहा कि इसके लिए आमजन, अधिवक्ता, बुद्धिजीवी वर्ग, शिक्षक व एनएसएस स्वयं सेवियों को आगे आना चाहिए, ताकि मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी मिल सके।

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आम आदमी की पहुंच से बाहर हुई सब्जियां

खटीमा(ऊधमसिंहनगर)। बेमौसम हुई बारिश का असर सब्जी उत्पादन पर भी पड़ा है। जलाशयों व नदियों के किनारे उगाई जाने वाली सब्जियों के बरसात की भेंट चढ़ने से मंडियों में इनकी पर्याप्त आवक नही हो पा रही है। कीमतों में आए उछाल से अधिकांश सब्जियां आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। पिछले महीने एक सप्ताह तक चली बारिश ने सब्जी उत्पादन पर बुरा असर डाला है। क्षेत्र में स्थित जलाशयों व नदियों के किनारे काश्तकार बड़े पैमाने पर सब्जियां उगाते हैं। नदी नालों में आयी बाढ़ से इस बार अधिकांश सब्जियों की फसल नष्ट हो गयी। इसके चलते मंडियों में क्षेत्र से पर्याप्त मात्रा में सब्जियां नही पहुंच पा रही हैं। इसका सीधा असर कीमतों में उछाल के रुप में देखने में आया है। बाजार में मौजूद अधिकांश सब्जियों को खरीदना आम आदमी के बस से बाहर होता जा रहा है। बुधवार को स्थानीय मंडी में नया आलू 15 रुपये व पुराना आलू 10 रुपये प्रति किलों की दर से बिका। इसके अलावा करेला 16 रुपये, भिंडी 20 रुपये, तोरई 16 रुपये, लोभिया 30 रुपये, फूलगोभी 20 से 25 रुपये, बंदगोभी 15 से 17 रुपये, शिमला मिर्च 50 से 60 रुपये, बैंगन 12 से 15 रुपये, घुईया 16 रुपये, टमाटर 15 से 18 रुपये, ग्वार की फली 15 रुपये व प्याज 20 से 25 रुपये प्रति किलो बेचा गया। सब्जी विक्रेता बताते हैं कि बेमौसम बरसात के कारण पर्याप्त मात्रा में सब्जियो का उत्पादन न होने से कीमतें बढ़ी हैं। वहीं, पर्वतीय क्षेत्रों से भी सब्जियों की आवक शुरू नहीं हुई है।

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आय का अहम जरिया है सगंध पौधों की खेती

सितारगंज(ऊधमसिंहनगर)। ग्राम कल्याणपुर में सगंध पौधों की खेती को लेकर आयोजित प्रशिक्षण शिविर में कहा गया कि यह आय का महत्वपूर्ण जरिया बन सकता है। बताया गया कि इन्हे अन्य फसलों के साथ भी उगाया जा सकता है।

सगन्ध पौध केन्द्र सेलाकुई (देहरादून) के तत्वावधान में दिये गये एक दिनी प्रशिक्षण में वैज्ञानिक आरके यादव ने बताया गया कि उत्तराखण्ड को हर्बल राज्य के रूप में विकसित करने के लिए तमाम योजनायें चलाई गई है। इसके तहत पहले चरण में विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम लौका, नकुलिया, सिसौना, धूसरी खेड़ा, कल्याणपुर आदि का चयन किया गया है। इनमें सगंध पौधों का कृषीकरण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में ज्यादातर लेमनग्रास, मैन्था, पामारोजा, सिट्रोनेला, कैमोमिल की खेती की जा रही है। यादव ने बताया कि कल्याणपुर में आसवन संयंत्र भी स्थापित किया गया है। उन्होंने किसानों को विभिन्न प्रजाति के पौधों की खेती के बारे में बताया।

केन्द्र के वैज्ञानिक शेर सिंह ने पामारोज व मैन्था की खेती के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि इससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। सगंध पौधों की खेती कर रहे काश्तकार रतन सिंह व कलस्टर के तकनीकी सदस्य शंकर लाल सागर ने बताया कि क्षेत्र में करीब चार सौ बीघा भूमि पर सगंध पौधों की खेती हो रही है। इससे किसानों को छह हजार रुपया प्रति बीघा की अतिरिक्त आय हो रही है। जिला पंचायत सदस्य बहादुर सिंह ने भी सगंध पौधों की खेती को लाभदायक बताया।

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Tuesday, October 9, 2007

Parsvnath gets govt nod for Rs 1,050 cr SEZ in Uttarakhand

MUMBAI: Realty major Parsvnath Developers today said it has received government approval for setting up an IT/ITeS Special Economic Zone at Dehradun in Uttarakhand for an investment of Rs 1,050 crore.

"The project will be executed by our subsidiary, Parsvnath SEZ Ltd. It will cater to the specialised needs of investors keen on setting up the world-class IT facilities in the region," Parsvnath Developers Chairman Pradeep Jain said in a notice to BSE.

With this approval the company now has three notified product specific SEZ at Indore, Gurgaon and Dehradun.

The company also has two approved SEZs at Kochi and Hyderabad spread over 11.11 million sq ft, which is awaiting the Centre's approval.

The company also has six SEZs with total area of 270 million sq ft, which has received in-principal approval from the Centre.

The total area for the Dehradun SEZ would be 35 acres with a total developable area of 3.8 million sq ft. The SEZ would provide infrastructure availability for the development of IT/ITeS related offices and industries in this high potential, unexplored region, Parsvnath informed BSE.

Shares of the company were trading at Rs 357, up 2.60 per cent on BSE in afternoon trade.

http://economictimes.indiatimes.com/News/News_By_Industry/Services/Parsvnath_gets_govt_nod_for_Rs_1050_cr_SEZ_in_Uttarakhand/articleshow/2442741.cms

सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं किसान : खंडूड़

Oct 10, 02:35 am

देहरादून। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण योजनाएं तैयार की हैं। किसानों को इसका लाभ लेना चाहिए।

मुख्यमंत्री शिमला बाईपास पर रामगढ़ स्थित नवधान्य संस्था के जैव विविधता संरक्षण केंद्र में आयोजित वसुंधरा किसान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में उपलब्ध जैव विविधता व प्राकृतिक संसाधनों का वैज्ञानिक तरीके से सदुपयोग करने की जरूरत है, साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय खाद्यान्नों का वैज्ञानिक विश्लेषण भी किया जाना चाहिए। श्री खंडूड़ी ने कहा कि प्रदेश की जड़ी बूटी संपदा का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए सरकार ने कारगर योजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि नवधान्य संस्था ने जैविक खेती को लेकर जितने भी प्रयास किए हैं उनकी तारीफ की जानी चाहिए। इस अवसर पर श्री खंडूड़ी ने नवधान्य संस्था द्वारा प्रकाशित 'बीजों का भविष्य ' पुस्तक का विमोचन भी किया। सातवें राष्ट्रीय किसान सम्मेलन के पहले सत्र बीज स्वराज में कर्नाटक से आए किसान पांडुरंग हेगड़े, संस्था की संस्थापक डा. वंदना शिवा, माया गोवर्धन एवं अमेरिका से आए जानथन रतम ने किसानों को बीजों की संरचना और उनसे होने वाले उत्पादन चक्र की जानकारी दी। दूसरे सत्र अन्न स्वराज में इटली की कैरोलाइन लोखाट, महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर व डा. वंदना शिवा, केरल से आए किसान तंबा के व उमेंद्र दत्त ने किसानों को विस्तार से जानकारी दी। तीसरे सत्र में फिल्म के माध्यम से किसानों को जैविक खेती के फायदे व रासायनिक खाद्य के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के विषय में जानकारी दी गई। सम्मेलन के दूसरे दिन बुधवार को प्रोफेसर हरबीर सिंह मलिक, प्रेम सिंह, चंद्रशेखर, उदवीर सिंह व राजस्थान से आई रश्मि सिंह एवं नंदीग्राम से अहमद, किसानों को जैविक खेती के विषय में जानकारी देंगे। इससे पूर्व सीएम श्री खंडूड़ी ने संस्था द्वारा जैविक तरीके से तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। सम्मेलन में संस्था की निदेशक माया रावत के अलावा कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, झारखंड सहित अमेरिका, कनाडा, मुंबई व स्विटजरलैंड आदि कि किसान एवं शोधार्थियों ने भी हिस्सा लिया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3808811.html

Bhavan Garh of Uttarakhand

52 गढ


नागपुर गढ
कोली गढ
रावड गढ
फ़ल्याण गढ
बान्गर गढ
कुइलीगढ/जोराशी गढ
भरपूर गढ
कुन्जडी गढ
सिलगढ
मून्गर गढ
रैन्का गढ
मौल्या गढ
उप्पू गढ
नालागढ
सान्करी गढ
रामी गढ
विराल्य गढ
चान्दपुर गढ
चौन्डा गढ
तपोगढ
रानी गढ
श्रीगुरु गढ
बधाण गढ
लोहाव गढ
दशोली गढ
कन्डारी गढ
धोना गढ
रतन गढ
एराशू गढ
इडिया गढ
लगूर गढ
बागगढ
बडकोट गढ
भटनाग
बनगढ
भरदार गढ
चौन्दकोट गढ
नयाल गढ
अजमीर गढ
कोडागढ
साबली गढ
बदलपुरगढ
सन्गेलागढ
जोट गढ
गुजुडू गढ
देवल गढ
लोहा गढ
जौलपुरागढ
चम्पागढ
डोडरागढ
भुवनागढ
लोदनगढ

http://younguttaranchal.com/community/index.php/topic,1823.30.html

Sunday, October 7, 2007

हेमवतीनंदन बहुगुणा

1942 आंदोलन: युवा इंकलाबियों के सेतु थे बहुगुणा

हेमवतीनंदन बहुगुणा के सिर पर था दस हजार का इनाम


देहरादून:हिमालय पुत्र हेमवतीनंदन बहुगुणा आधुनिक भारत की राजनीति की बड़ी शख्सीयतों में से एक थे। राष्ट्रीय आंदोलन में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा विशेषकर भारत छोड़ों आंदोलन में उनके साहस की गाथा आज भी गाई जाती है। पौड़ी गढ़वाल के छोटे से गांव बुघाणी में 25 अप्रैल 1919 में जन्में हेमवतीनंदन बहुगुणा के पिता रेवतीनंदन बहुगुणा पेशे से कानूनगो थे। शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर, देहरादून के बाद वे इलाहाबाद चले गए थे। 1942 में बहुगुणा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यननरत थे। उनका मन पाठ्यक्रम की पढ़ाई से अधिक क्रांतिकारी साहित्य में अधिक रमता था। इंकलाबियों के संपर्क में तो वह पहले से आ ही गए थे और साहित्य के प्रचार प्रसार में बहुत आगे रहते थे। विश्वविद्यालय में कांग्रेस का झंडा फहराने तथा अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर दस हजार रुपये इनाम रखा था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने हेमवतीनंदन बहुगुणा के राजनीति दर्शन व योगदान पर शोध किया है। उनके द्वारा ऐसी जानकारी दी गई जो सरकारी रिकार्ड में ही दर्ज हैं और बहुत कम लोगों को इस बारे में पता है।
श्री धस्माना ने बताया कि अपने ऊपर दस हजार रुपये का इनाम होने के कारण स्व. बहुगुणा भूमिगत हो गए। उनके संपर्क गढ़वाल के क्रांतिकारियों से थे और वे नौजवानों का मार्गदर्शन करते रहते थे। इनाम घोषित होने पर हर दूसरे दिन बुघाणी स्थित उनके पिता के घर पर पुलिस के छापे पड़ने लगे। तंग आकर उनके पिता को पुलिस को लिखित बयान देना पड़ा कि उनका हेमवतीनंदन बहुगुणा से कोई संबंध नहीं है। इस कारण वे मदन उपनाम से घरवालों को पत्र लिखते थे। उनकी बहन दुर्गा ( सूबे के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की मां) उनसे आनंदी नाम से पत्राचार करती थी। बहुगुणा जी पत्रों के माध्यम से गढ़वाल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों तथा इंकलाबियों से संपर्क में रहते थे।
श्री धस्माना का कहना है कि अगस्त महीने में स्व. बहुगुणा भूमिगत रहे और उन्हें भारी परेशानी झेलनी पड़ी। अक्तूबर 1942 में इलाहाबाद के क्रिश्चन कालेज बैठक आयोजित हुई जिसमें बहुगुणा शामिल थे। पुलिस के छापे में कई लोग गिरफ्तार हुए और उन्होंने बहुगुणा के ठिकानों के बारे सारी बात पुलिस के समक्ष उगल दी। 24 अक्तूबर 1942 को पुलिस उनके गुरु प्रोफेसर रामप्रकाश त्रिपाठी के घर छापा मारा। वे पीछे के दरवाजे से साधु के वेश में भाग निकले। इसके बाद लंबे समय तक वे हुकूमत के खिलाफ जनसमुदाय को जोड़ते रहे। लेकिन 1943 में जामा मस्जिद के पास गिरफ्तार किये गए।

http://younguttaranchal.com/community/index.php/topic,702.30.html

Bharat Ratan Pandit Govind Ballab Pant.

Govind Ballabh Pant was born on August 30, 1887 in Shyahi Devi hills in Almora. His mother's name was Govindi. His father, Manorath Pant, was constantly on the road. Govind was brought up by his grandfather, Bandri Dutt Joshi, who played a prominent part in molding the youngster's views. Govind greatly respected his grandfather's firm belief in honesty and tried to inculcate them into his own life.
As a child, Govind was mediocre. He loved playing "gilli danda" and football. He was always late to school. In fact he was never on time most of his young life. All of his interests were those of a layman and did not indicate the shrill and extraordinary individual that he was going to transform into.

In later years of his school he showed a remarkable and impressive growth. He excelled in studies, especially Mathematics and was a leader amongst his classmates. After finishing school, Govind made plans to go to Allahabad to further his education but was discouraged by his relatives on account of Govind's delicate health. The incentive to obtain further education was far grater then his concern towards his health. He said farewell to his relatives and left for Laahabad in 1905. Govind enrolled at the Muir Centeral College where his ingenious and radiant personality was quickly recognized by his professors. He excelled in the fields of Mathematics, Literature and Politics. Even though his health continued to suffer throughout his College career, his avid ambition led him to attain a degree from one of the finest universities in India at the time.

His first opportunity to support the Congress came in December 1905 when he served as a swayamsewak at the Congress session at Allahabad. He was greatly impressed by Gopalkrishna Gokhale and Madan Mohan Malaviya's views. Just two years later a kumbh mela took place where Govind, along with Hargovind Pant, a friend, worked as swayamsewaks. Here he made a thundering speech with a distinct nationalist color. The speech was reported to the college Principle, who as punishment, forbade Govind from taking the B.A. examination. Govind was stunned by the action. His main goal to come to Allahabad was to receive a degree and now that was in jeopardy. Pt. Mandan Mohan Malaviya threatened the principle with legal action. Finally the principle succumbed to pressure and allowed Govind to take the examination.

Govind decided to study law in 1907, following his B.A. degree. In 1909 he was awarded the Lumsden award when he scored highest in the Bar examination.

Govind Pant began to practice in Almora in 1910. Then he moved to Ranikhet and eventually to Kashipur, a flourishing and affluent city, in 1912. During his booming practice in Kashipur, he established an organization called Perm Sabha. The main focus of the organization was to integrate social and literary works of India. The Sabha stopped the British from shutting down one of the Kashipur schools by generating enough funds to pay the school taxes.

A law at the time required the local people to carry the luggage of travelling British officials, without payment. The Parishad, under the guidance of Pant, demonstrated and successfully abolished the practice of coolie beggar. The Parishad also fought against illiteracy, hunger and for preservation of forests.

Pant delved into politics in December of 1921. Greatly impressed by Gandhiji's concept of a non-violent freedom struggle, Pant devoted himself to the non-cooperation movement

http://younguttaranchal.com/community/index.php/topic,702.0.html

श्रीदेव सुमन : एक महान अमर सेनानी

Sridev Suman was the best known of a group of freedom fighters to operate in Tehri State. Born in 25th may, 1915, Suman was largely self-taught. He became a key organizer and agitator for civil rights in Tehri while serving as an editor and writer for several underground presses. He was instrumental in the formation of several organizations, from the Himalaya Seva Sangh, to the Himalayan States People's Federation and Garhdesh Seva Sangh.

In 1942 at the height of tax protests, Suman and many other activists were jailed. Late in 1943, he was tried for treason and jailed again. The ghastly conditions of Tehri's infamous prisons led him to lead a fast unto death in protest. After 84 days on 25 july 1944, he died a martyr's death, inspiring a generation of activists to take up the banner of liberation that eventually toppled the princely state.

today 25 may we celebrate his 92th birth day & give him heartly tribute. we demand tihri dam renamed as श्रीदेव सुमन सागर

http://younguttaranchal.com/community/index.php/topic,940.0.html

Mohan Upreti

Mohan Upreti


Mohan Upreti was a renowned theatre personality from Almora, an ancient town in the Kumaon region of Uttarakhand, a northern state of India. He is remembered for his immense contribution to the Kumaoni folk music and for his efforts towards preserving old Kumaoni ballads, songs and folk traditions.

Early career

As a young man in the 40's and 50's of the last century, Mohan and his equally enthusiastic and later on, equally renowned personality[citation needed], B.L. Sah went around the remote regions of Uttarakhand, and made it their sacred mission to collect the fast vanishing folk songs, tunes, and traditions of the region and preserve them for posterity.


Further Information

In addition to this immensely valuable work, Mohan was instrumental in bringing the Kumaoni culture into national focus by establishing institutions like the Parvatiya Kala Kendra in Delhi ("Center for Arts of the Hills") which, at one time[citation needed] was quite active in producing plays and ballads with strong roots in the Kumaoni culture.

He is particularly remembered for his epic ballad "Rajula Malushahi", his deft presentations of the traditional Ram-Leela, and the play "Haru Heet". He provided music for a number of television productions in the 80's, and his compositions were noticeable for the distinct Kumaoni folk touch.


Thanda Matlab Coca Cola

Most of India has not heard about Mohan Upreti, but it is one of his tunes that the whole country is familiar with - courtesy Prasoon Joshi - the Golden Lion winning ad man, who himself is from Kumaon - who used it for his "Thanda Matlab Coca Cola" ad campaign for the cold drink. The tune being hummed by the guide in the "Pahaari Guide" episode of the mentioned ad is "Bedu Paako Baar Maasa" - a creation of Mohan Upreti.

http://younguttaranchal.com/community/index.php/topic,932.0.html

Water crisis cripples life in Uttarakhand

Thati (Uttarakhand), Oct 6: A crippling water crisis has gripped several villages in Uttarakhand. According to reports, most streams have dried up and reservoirs have run out of water. To add to their woes, the availability of clean water is a common problem.

"The water here is very dirty. Both people and animals wash, clean and bath here. We drink the same water," said Sita Parmar, a resident of Thati village.

Residents claimed the problem had been with them for more than a decade.

Three rivers - Ganges, Mahakali and Alaknanda - flow through Uttarakhand, formerly called Uttaranchal.

Three rivers - Ganges, Mahakali and Alaknanda - flow through Uttarakhand, formerly called Uttaranchal.

These rivers meet the water requirements of neighbouring states. But ironically, the people here have to trudge for miles to fetch a pot of drinking water.

The State Government claims to have drawn up several schemes for supplying water to villages, but most of them remains on paper.

"The water in these villages is polluted. But as per the guidelines of the Government of India, we are supposed to prioritise things. First of all, we cater to the villages that have no water supply, then those that have partial water supply and then come these villages that have polluted water," said R. Meenakshi Sundaram, district magistrate, Uttarakhand.

The region is also prone to natural calamities.

Experts, however, believe that the water crisis has largely been caused by the mismanagement of the existing water resources.

Out of the 13 districts in Uttaranchal, 11 districts do not have enough drinking water. Some of the water projects developed to cater to the needs of the districts, are more than 15 years old and do not cover all villages.

http://www.dailyindia.com/show/180178.php/Water-crisis-cripples-life-in-Uttarakhand

Tuesday, October 2, 2007

Uttarakhand govt announced Rs 47.58-cr package for sugar mills

DEHRA DUN: The Uttarakhand government announced a package of Rs 47.58 crore to improve the financial health of the loss making sugar mills of the State. "The package of Rs 47.58 crore will be given to sugar mills both in private sector as well as cooper ative sector,'' the State Chief Minister, Mr B C Khanduri said at a press conference. Rs 6.51 crore would be given to Nadehi Sugar Mill, Rs 3.95 crore to Bajpur Sugar Mill, Rs 8.31 crore to Gadarpur, Rs 13.22 crore to Sitarganj, Rs 5.59 crore to Kichcha and Rs 9.96 crore to Doiwala Sugar Mill, Mr Khanduri said.

The state assistance came in the wake of sugar mills finding it difficult to pay back the money due to the farmers as sugar prices slumped. With the government aid, Mr Khanduri said the sugar mills would be able to pay the dues to the farmers till Augus t 16, 2007. - PTI



http://www.thehindubusinessline.com/blnus/27021202.htm

Five Army climbers go missing in Uttarakhand



New Delhi: Five climbers of the Army, attempting to scale the 25,300-feet Nandadevi East peak in Garhwal Himalayas in Uttarakhand, have reportedly gone missing, an Army spokesman said here on Friday night.


The five members of the expedition team, including one officer, one junior commissioned officer and three others, went missing in inclement weather condition on September 26, the spokesman said.

A search and rescue operation both on the ground and air had been launched, he said.

"There is still no trace of the missing climbers. Bad weather and heavy snowfall has hampered rescue operation," the spokesman said.


http://sify.com/news/fullstory.php?id=14535171&vsv=SHGTslot6

Stranded Russian trekkers rescued in Uttarakhand

Joshimath/Dehradun, Oct 2: Four Russian trekkers and four Indian porters, who were stranded for over five days in Uttarakhand after heavy snowfall, have been rescued with the help of Air Force, said an official on Tuesday.

The group of eight was trapped in heavy snowfall as they were trekking through the Gangotri glacier to Badrinath in Uttarakhand.

The rescue operations began on Saturday and all the eight were rescued by Sunday evening, officials said.

"From Badrinath to Gangotri there is a high altitude trekking route. There has been a lot of snowing along that route in the past few days. And since it (the snowfall) has occurred before time, a lot of trekkers were stranded. A group of eight people in which four were Russians and four were Indian porters. These people have been rescued with the help of the Air Force," said Ashok Kumar, Deputy Inspector General of Police, Garhwal Range.

"No permission is being given to trekkers at present either for Uttarkashi or Chamoli," Kumar said, adding that "No other group is stranded as of now."

A team of German and Indian trekkers that was scheduled to take the same route as the Russian group has returned from the base camp after the snowfall, officials said.

Earlier rescue efforts were hampered as helicopters were snowed in and ground rescue teams could not reach the region, which lies at an altitude of between 18,000 and 21,000 feet (5,486 and 6,401 metres), the official said.

The hill state is a popular trekking destination.

http://www.dailyindia.com/show/178982.php/Stranded-Russian-trekkers-rescued-in-Uttarakhand

Dying elephant caught in red-tapism in Uttarakhand

New Delhi: It has been 15 days of suffering for 80-year-old Arundhati. The camp elephant of Dehradun's Rajaji National Park, Arundhati suffered multiple fractures on her right foot after falling into a marsh early this month.

The Ministry of Environment and Forests and Uttarakhand Forest Department have now granted permission to the park authorities to put Arundhati to sleep.

Though, wildlife activists agree that it is the only option left, they feel the worst could have been avoided.

“The wildlife warden and officers say that they are busy with functions that they are preparing for the animal welfare week so they don’t have time to put this animal to sleep,” animal rights activist and BJP MP Maneka Gandhi said.

Forest officials on their part say that whatever is being done is within the boundaries of law. As per the Wildlife Protection Act, only the Chief Wildlife Warden can give permits on putting a wild animal to sleep.

JUMBO TROUBLE: Uttarakhand Forest Department has granted permission to the park authorities to put Arundhati to sleep.


The Cruelty to Animals Act has the provision of mercy killing. If animal is suffering and has little chance of survival there is no harm in giving him a mercy death,” Chief Wildlife Warden, Srikant Chandola said.

Meanwhile, Dr Ashraf from the Wildlife Trust of India reached Rajaji National Park on Tuesday afternoon. Sources have confirmed that the forest authorities were still buying time and the papers were not ready to put the animal out of her misery.

Animal rights activists had put stiff resistance against the demand for a mercy death alleging that park authorities did not treat her properly. They had also organised a candlelight march to protest against the red-tapism involved. But for the 80-year-old elephant fighting a losing battle, this is perhaps the only way to peace.

http://www.ibnlive.com/news/dying-elephant-caught-in-redtapism-in-uttarakhand/49768-3.html