Monday, March 24, 2008

Tata Motors to shift Ace prodn to Uttarakhand

Tata Motors will shift the entire production of its mini truck Ace and the passenger carrier variant of the vehicle, Magic, to Uttarakhand by next year.

"Currently, Ace and Magic are being produced from both Pune and Uttarakhand but the idea is to shift the total production to the latter unit," Ravi Pisharody, vice president (sales and marketing - commercial vehicles), Tata Motors, said today.

He said the shift would commence by the middle of next year. "We are expecting to utilise the full capacity of the Uttarakhand plant by the end of next year," Pisharody added.

The Uttarakhand plant has a production capacity of 2.25 lakh units per annum, and the company made an investment of Rs 1,000 crore in setting up the facility.

The company today launched its six-seater rural transportation vehicle Magic priced at Rs 2.68 lakh (ex-showroom Delhi), and 9-13 seater maxicab Winger (Rs 4.67 lakh to Rs 6.67 lakh, ex-showroom Delhi) in north India.

http://www.business-standard.com/common/storypage_c_online.php?leftnm=10&bKeyFlag=IN&autono=34654

दो दिन से अंधेरे में तल्लानागपुर व दशज्यूला क्षेत्र के कई गांव

रुद्रप्रयाग। जिले के अंतर्गत तल्लानागपुर व दशज्यूला क्षेत्र के कई गांवों में विगत दो दिन से विद्युत आपूर्ति ठप पड़ी हुई। इससे लोग अंधेरे में रहने को मजबूर है। वहीं बोर्ड परीक्षार्थियों का भी पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है।

तल्लानागपुर क्षेत्र के अंतर्गत काडा, क्यूड़ी, स्वांरी व ग्वांस तथा दशज्यूला क्षेत्रांतर्गत आगर कोखंडी व तलगढ़ सहित कई गांवों में दो दिन से बिजली आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। इससे ग्रामीणों को रात भर अंधेरे में रहना पड़ रहा है। बिजली आपूर्ति न होने से स्थानीय व्यापारियों व विभागीय कर्मचारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विभागों के आवश्यक कार्य भी इससे प्रभावित हो रहे है, जबकि हाईस्कूल व इंटर के बोर्ड परीक्षार्थी भी परेशान है। क्षेत्रीय निवासी सुदर्शन राणा, रघुवीर सिंह राणा, जगदीश सिंह, लक्ष्मण सिंह नेगी सहित कई लोगों का कहना है कि दो दिनों से क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति ठप पड़ी हुई। विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी जा चुकी है, पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है। उन्होंने कहा कि बिजली गुल होने से रात्रि के समय अंधेरे में रहना पड़ रहा है, इससे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बोर्ड परीक्षार्थियों को इससे अध्ययन करने में परेशानी हो रही है। विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता एनएल बधाणी ने बताया कि क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति को सुचारु करने के पूरे प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए क्षेत्र में कर्मचारियों को भेजा गया है।

भारतीय संस्कृति व जीवन दर्शन के प्राण है वेद व पुराण : पंत

लोहाघाट(चम्पावत)। राज्य के पर्यटन मंत्री प्रकाश पन्त ने सोमवार को मां अखिल तारिणी धाम में चल रहे 108 दिनी महायज्ञ में पहुंच कर मां के दरबार में शीश नवाया तथा पूजा अर्चना की। इस दौरान क्षेत्रीय लोगों के अलावा पीठाधीश्वर दिगम्बर मोहन तीर्थ जी महाराज ने उनका स्वागत किया। महर्षि महेश योगी महाविद्यालय इलाहाबाद से आये आचार्यो ने स्वस्ति वाचन किया। खालगड़ा में भी मंत्री का पारम्परिक वाद्य यंत्रों व छोलिया नृत्य के बीच भव्य स्वागत किया गया।

हिन्दु धर्म ग्रन्थों को जीवन का सार बताते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने पुराणों व वेदों की रचना जनकल्याण के लिए की है। पिछले जन्म के प्रारब्ध के आधार पर ही मनुष्य योनि मिलती है। उन्होंने यज्ञ, होम व पुराण कथा वाचन को धर्म के प्रचार प्रसार व सद्बुद्धि के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि पीठाधीश्वर महाराज द्वारा यहां जो विशाल अनुष्ठान किया जा रहा है उससे यह क्षेत्र समृद्धि, प्रगति व सुख शांति का वाहक बनेगा। उन्होंने श्रद्धालुओं को आश्वस्त किया कि यह दिव्य स्थल भी जिले के पर्यटन ग्रिड में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस संकल्प के माध्यम से यह अनुष्ठान किया जा रहा है उसमें उनकी सरकार और वह स्वयं पूरा सहयोग करेगे।

संस्कृति को संजोने को जागरी बनें प्राध्यापक

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। जनता दल यूनाइटेड के सुझाव पर अमल हुआ तो गांवों में जागर लगाने वाले जागरी, महाविद्यालयों में प्राध्यापक व चिकित्सालयों में मनोरोग विशेषज्ञ के पद संभालेंगे।

जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष आरके त्यागी की ओर से सूबे के मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा है कि उत्तराखंड की संस्कृति को लुप्त होने से बचाने के लिए पारंपरिक विधा ढोल सागर को माध्यमिक व महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ जागरियों को बतौर शिक्षक नियुक्ति दी जाए। कहा गया कि प्रदेश की जनता पारंपरिक रूप से कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है। अधिकांश लोग ऐसे रोगों से ग्रस्त हैं, जो केवल ध्वनि तरंगों, वाद्य यंत्रों व जागर लगाकर ही ठीक हो सकते हैं। इनका इलाज दुनिया के किसी भी आधुनिकतम मेडिकल कालेज में नहीं है। इसके लिए अनुभवी, प्रशिक्षित, मद्य निग्रही, सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकृत जागरियों को प्रत्येक चिकित्सालय व मेडिकल कालेज में मनोरोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया जाए। पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य में धार्मिक कार्य संपादित करने वाले विद्वान, पंडित-पुरोहितों को प्रत्येक गांव के प्राथमिक विद्यालयों में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने का दायित्व सौंपा जाए। इसके अलावा उत्तराखंड में अनूसूचित जाति के लोगों को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का कोटा तय करते हुए आरक्षित कोटे में से सत्तर फीसदी पहाड़ी व तीस फीसदी मैदानी क्षेत्र में रहने वालों को सरकार व गैर सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था की जाए।

हाथी ने वृद्ध को पटक कर मार डाला

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत ग्रामसभा मथाणा के उप गांव काटल में हाथी ने एक वृद्ध को पटक-पटक कर मार डाला।

यह घटना सोमवार तड़के करीब चार बजे की है। काटल निवासी करीम बख्श(60 वर्ष) खेतों में खड़ी फसल की देखभाल के लिए खेत में ही चारपाई बिछाकर सो रहा था। सुबह करीब चार बजे हाथियों का झुंड वहां पहुंचा और एक हाथी ने करीम बख्श को पटक-पटक कर मार डाला। पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने स्थानीय प्रशासन व वन प्रभाग के अधिकारियों को घटना की सूचना दी। सूचना मिलते ही वन प्रभाग व राजस्व विभाग के अधिकारी मौके की ओर रवाना हो गए। समाचार लिखे जाने तक गांव काटल गए अधिकारी वापस नहीं लौटे थे।

नैनीताल में पर्यटकों की भीड़ बरकरार

नैनीताल। पर्यटन नगरी नैनीताल में पर्यटकों की भारी भीड़ बनी हुई है। जिसके चलते सोमवार को नगर के पर्यटन स्थलों व बाजारों में सैलानियों से रौनक रही।

उम्मीद की जा रही थी कि पिछले तीन दिनों से नगर में जमा सैलानियों की भीड़ सोमवार को छट जाएगी, लेकिन उम्मीद के परे भारी संख्या में सैलानियों की भीड़ नगर में बनी हुई है। जिसके चलते नगर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में पूरे दिन सैलानियों की आवाजाही बनी रही। बाजारों में खरीददारी करने वाले सैलानियों की भीड़ भी काफी संख्या में नजर आई। बड़ा बाजार, माल रोड व भोटिया बाजार में सैलानियों ने जमकर खरीददारी की। उप पर्यटन निदेशक जीसी बेरी के मुताबिक इस बार होली में रिकार्ड तोड़ सैलानी पूरे कुमाऊं के पर्यटन स्थलों में पहुंचे है। कार्बेट पार्क, कौसानी, रानीखेत, मुक्तेश्वर, भीमताल, सातताल व नौकुचियाताल में पिछले तीन दिनों से सैलानियों का आगमन जारी है। उन्होंने कहा कि कुमाऊँ के पर्यटन के लिए इस अवसर पर सैलानियों का उमड़ना शुभ संकेत है। इससे यहां के पर्यटन को बल मिलेगा।

रूपकुंड नाटक की आकर्षक प्रस्तुति से मुग्ध हुए मेलार्थी

कर्णप्रयाग (चमोली)। सिद्धपीठ नौटी में चल रहे नंदा देवी मेले में 'रूपकुंड नाटक' की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों को मुग्ध किया।

हिन्द मॉडल पब्लिक स्कूल कनोठ के छात्र-छात्राओं ने राजा जसधवल के राज परिवार प्रजा व सेना के रूपकुंड में हिमसमाधि लेने की दर्दनाक नाटिका को प्रस्तुत कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। तीन दिवसीय नंदादेवी मेले में दूर-दराज गांवों से काफी संख्या में महिलाएं व पुरुष हिस्सा ले रहे हैं। मेले में दौड़, लोकगीत व लोकनृत्य की जूनियर, सीनियर स्पर्धाओं के अंतर्गत जल, वन संरक्षण एवं महिला उत्थान पर गोष्ठियों का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के उद्घाटन अवसर पर प्रधानाचार्य डीएन नौटियाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से क्षेत्र में जनजागृति भी पैदा होती है। मेला संस्थापक व समारोह अध्यक्ष भुवन नौटियाल ने वर्ष 1980 में प्रारंभ किये गए पर्यटन मेले में आर्थिक सहायता बढ़ाये जाने की मांग की।

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान

कर्णप्रयाग (चमोली)। उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशालय के सहयोग से बस स्टेशन पर स्वैच्छिक संस्था नंदादेवी कला जत्था के कलाकारों ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ नुक्कड़ नाटक के जरिए लैंगिक समानता का संदेश दिया।

नागरिकों ने कला जत्था के इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अभियान को मजबूती मिलेगी। कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक 'यमलोक' के जरिये कन्या भ्रूण हत्या को समाज से मिटाने और जन्म से पूर्व लिंग परीक्षण व गर्भ में ही भ्रूण हत्या करने पर तीन से पांच साल की सजा व दस हजार रूपये तक का जुर्माना होने की कानूनी जानकारी भी लोगों को दी। सांस्कृतिक दल के प्रमुख ने बताया कि जनपद के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

मृतक आश्रितों को नियुक्ति नहीं मिलने से रोटी का संकट

सोमेश्वर (अल्मोड़ा)। बेसिक शिक्षा परिषद के राजकीयकरण के बाद परिषद के मृतक आश्रितों को विद्यालयों व संस्थानों में सेवायोजित नहीं किया जा रहा है। जिसे लेकर प्रभावित परिवारों के सामने दो जून रोटी का सवाल खड़ा हो गया है।

इस मामले में सौ से अधिक मृतक आश्रितों को सेवायोजित किया जाना था, जो नहीं हो सका। राजकीयकरण के बाद जारी शासनादेश में कहा गया है कि यदि किसी कार्मिक की मृत्यु होती है तो उनके आश्रितों को ही लाभ अनुमन्य होंगे। शासनादेश में कहा गया है कि राजकीयकरण की तिथि से पूर्व के मामलों में नियमावली लागू नहीं होगी। परिषदीय शिक्षकों को 22 अप्रैल 2006 से राजकीय माना गया है। परिषदीय कार्मिकों को भी 5 वर्ष के अंतराल में मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति दी जाती रही है। किंतु राजकीयकरण होने के बाद पूर्व के मृतक आश्रितों को नियुक्ति के लिए कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है।

प्रदेश भर के हर जिले से ऐसे मृतक आश्रितों ने जुलाई माह में प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन कौशिक सहित विद्यालयी शिक्षा निदेशक को अपना दर्द सुनाया। जिस पर इन आश्रितों को सेवायोजित किए जाने का आश्वासन तो मिला, लेकिन नियुक्तियां नहीं मिली। प्रदेश भर में लगभग सौ से अधिक मृतक आश्रित इस शासनादेश का दंश झेलने को मजबूर है।

जंगलों में लगी भीषण आग, लाखों का नुकसान

रानीखेत(अल्मोड़ा)। जंगलों में आग लगने का दौर जारी है। आग से ताड़ीखेत, द्वाराहाट, स्याल्दे ब्लाक में बहुमूल्य वन संपदा व जानवरों का चारा आग की भेंट चढ़ गया है। वहीं खेतों में आग लगने से गेहूं की फसल भी प्रभावित हुई है। आग से लगभग पांच लाख से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।

स्याल्दे ब्लाक के मुख्यालय के सामने कहड़गांव में जंगलों में भीषण आग का दौर जारी है। यहां कहड़गांव के सिमलधार से देवी मन्दिर तक का लगभग डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र आग की चपेट में है। सिमलधार, धार, पपनोई गांव पूरी तरह आग से घिरे हुए है। आग इतनी भीषण थी कि वह ग्रामीणों के गौशाला तक पहुंच गई। ग्रामीणों के मिलजुलकर प्रयास से बमुश्किल गौशालाओं को बचाया गया। हटल गांव के नेवलगांव तोक में भी जंगलों में आग लगने के समाचार है। वहीं तिमिली के रुचिखाल तोक से हटहटखाल तोक तक आग से लगभग 70 प्रतिशत वन पंचायत के जंगल प्रभावित हुए है। वहीं 30 प्रतिशत नाप भूमि में लगाए गए नर्सरी के लगभग 2 हजार पौधे भी आग की भेंट चढ़ गए है।

द्वाराहाट ब्लाक के ग्वाड़ गांव के खनूली तोक में आग लगने के समाचार है। यहां ग्रामीणों के लगभग 5 सौ नाली भूमि पर गेहूं की फसल व 50 घास के लूटे भी आग की भेंट चढ़ गए है। आग से प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने बताया कि आग को बुझाने के लिए शासन-प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचा है। ग्रामीण प्रशासन के इस उपेक्षापूर्ण रवैए से आक्रोशित है। उन्होंने कहा कि सूचना देने के बाद भी आग को बुझाने के लिए शासन-प्रशासन का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा।

ज्ञात हो कि बीते दिनों माजिल गाड़ जंगल में लगी भीषण आग की चपेट में तिमिली, चचरेटी गांव आए। आग से ग्रामीणों के तीन दर्जन घास के लूठे व घरों के आसपास रखी जलाऊ लकड़ियां जलकर राख हो गई थी। आग से लगभग 2 लाख रूपए का नुकसान हुआ। सोमवार को जंगलों में आग लगने का सिलसिला जारी है।

Sunday, March 23, 2008

जंगलों से गायब है बुरांश के फूलों की रंगत

चौखुटिया(अल्मोड़ा)। उत्तराखंड के जंगलों में बहुरंगी रंगत बिखेर देने वाले बुरांश व काफल के फूलों की अपनी एक अलग पहिचान है। बुरांश के फूल मार्च आखिरी से अप्रैल माह में खिलते है, लेकिन बारिश न होने से अबकी बार फीकापन नजर आ रहा है तथा बुराश के फूल गायब है। छुटपुट पेड़ों पर खिले भी है तो मुर्झाये हालत में। प्रकृति के बदलते स्वरूप से लोगों में निराशा है।

उत्तराखंड के विभिन्न जंगलों में बुरांश के वृक्ष करीब 5 हजार से 12 हजार फीट की ऊंचाई वाले भागों में पाये जाते है। इन दिनों इसके फूल प्रकृति की भव्यता व सुन्दरता में चार चांद लगा देते है तथा लोगों के मन को बरबस अपनी ओर लुभाते है। बुरांश के फूल चटक लाल रंग के होते है। कहीं-कहीं ऊंचे स्थानों पर सफेद फूल भी दिखाई देते है। बुरांश के फूल जहां मनोहारी दृश्य के दर्शन कराते है वहीं हमारे दैनिक जीवन में इनका विशेष महत्व भी है।

उत्तराखंड के तमाम जंगलों में पाये जाने वाले बुरांश के वृक्ष फरवरी के आखिर से पुष्पित होने लगते है तथा मार्च आखिर से अप्रैल माह में ये फूल जंगलों में बहुतायत खिले दिखाई देते है। गर्मी के प्रकोप के साथ ही ये फूल सूख कर जमीन में गिर जाते है। बुरांश के फूलों से गुणकारी जूस बनाया जाता है जो ह्दय रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। साथ ही इसके अन्य कई उपयोग है। साथ ही पर्यटकों को भी बुरांश का फूल स्वत: ही अपने ओर खींचने की क्षमता रखता है।

वहीं इस बार जंगलों में बुरांश के फूलों की रंगत गायब है। कहीं-कहीं फूल खिले भी है तो बिल्कुल मुर्झाये है। कारण इस शीतकाल में बारिश का न होना व तेजाबी पाला गिरना है। इससे जंगलों में भी सूखे की हालत बनी है तथा बुरांश सहित अन्य वृक्षों की पत्तियां व कोपलें सूख गये है। जिससे जंगलों में फीकापन नजर आ रहा है। फूल व्यवसायी भी निराश है। क्योंकि लोग बुरांश के फूलों को जूस बनाने के लिये उपयोग करते है।

उफल्डा में पर्यावरण मित्र योजना शुरू

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। उफल्डा में स्वच्छता अभियान को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए पर्यावरण मित्र योजना की शुरुआत की गई। क्षेत्र में जैविक और अजैविक कूड़े को रिक्शा पर इकट्ठा किया जा रहा है।

एक समारोह में आदर्श ग्राम पंचायत उफल्डा के प्रधान रमेश रावत ने योजना का शुभारंभ किया। क्षेत्र में पर्यावरण मित्र योजना को शुरू कराने में सहयोग के लिए एनएचपीसी, एसडीएम कीर्तिनगर व जन चेतना समिति का ग्राम पंचायत उफल्डा ने आभार व्यक्त किया। उफल्डा को आदर्श ग्राम पंचायत का दर्जा देने के लिए ग्राम प्रधान ने मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी का भी आभार व्यक्त किया और क्षेत्र के व्यापारियों व ग्रामीणों से पर्यावरण मित्र योजना को सफल बनाने को कहा।

थानाध्यक्ष के खिलाफ महिला भूख हड़ताल पर बैठी

बड़कोट (उत्तरकाशी)। मोल्डा गांव की महिला ने पुलिस पर हिरासत में लेकर मारपीट का आरोप लगाया है। इसके विरोध में महिला ने एसडीएम कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल शुरू कर दी है।

नौगांव ब्लाक के मोल्डागांव में बीती 17 फरवरी को विजयलक्ष्मी व प्रकाशी के बीच किसी बात को लेकर मारपीट हुई। प्रकाशी देवी ने इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई। पुलिस मोल्डागांव से विजयलक्ष्मी पत्‍‌नी अतोल सिंह को थाने ले आई। इस मामले में विजय लक्ष्मी का आरोप है कि बड़कोट थानाध्यक्ष मान सिंह रावत ने उन्हें थाने बुलाकर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया और बिना महिला सिपाही की उपस्थिति में उन्हें थाने में बंद रखा। विजयलक्ष्मी का कहना है कि उसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर यह मामला भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष भी रखा, लेकिन सत्ताधारियों ने भी मामले से मुंह मोड़ लिया। पुलिस व प्रशासन के कार्यालयों के चक्कर काट थक चुकी महिला ने उपजिलाधिकारी को पत्र लिखकर आज से भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी थी। विजयलक्ष्मी ने उत्पीड़न के खिलाफ आज से उपजिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इस मामले में थानाध्यक्ष मान सिंह रावत का कहना कि गांव की दो महिलाओं के बीच मारपीट में विजयलक्ष्मी के शरीर पर घावों के निशान पड़े हैं। उन्होंने महिला का उत्पीड़न नहीं किया गया है।

धू-धू जल रहे जंगल, विभाग लापरवाह

घनसाली/पोखरी (टिहरीगढ़वाल)। गढ़वाल में जंगल धू-धू कर जल रहे है। आग से अब तक करोड़ों की वन संपदा जलकर राख हो गई। ग्रामीणों की आधा दर्जन से अधिक छानियां भी वनाग्नि की भेंट चढ़ गई, लेकिन वन विभाग आग को बुझाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है।

घनसाली: भिलंगना प्रखंड के पट्टी भिलंग के ग्राम पोखार के ग्रामीणों की आधा दर्जन से अधिक छानियां वनाग्नि की चपेट में आ गई। ग्रामीण गब्बर सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि कई दिनों से लगी आग से ग्रामीणों की सात छानियां वनाग्नि की चपेट में आने से जल कर राख हो गई व छानियों में रखा सामान भी स्वाह हो गया। वहीं कोटी फैगुल, नैलचामी, भिलंग व ग्यारह गांव हिंदाव, केमर पट्टी के चारों ओर के जंगल जलकर खाक हो रहे है। आग बुझाने के लिए कोई भी प्रयास नही किए जा रहे हैं। जबकि बीते दो सप्ताह पहले बालगंगा रेंज के जंगलों में लगी आग से गनगर गांव भी वनाग्नि की भेंट चढ़ गया था, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग आग से बुझाने के बजाय होली के खुमार में मस्त रहा। यहां तक की वन विभाग ने घनसाली स्थित रेंज मुख्यालय के समीप लगी आग को बुझाने का प्रयास तक नही किया। युवा नेता विजयपाल कैंतुरा ने बताया कि प्रखंड के जंगलों में कई दिनों से आग लगी हुई है, लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नही दे रहा है। पोखरी: नागनाथ रेंज में लगी आग से वन संपदा को भारी क्षति पहुंच रही है। होली के पर्व पर, तीन दिन के अवकाश के कारण वन विभाग के कर्मचारी कहीं भी आग बुझाते हुए नहीं दिखे। नागनाथ रेंज के त्रिसूला बीट के रैंसू जंगल में तीन दिन से लगी आग कई हैक्टेयर जंगल को लील गई है। समाचार लिखे जाने तक किसी भी स्तर से आग पर काबू नही पाया जा सका था। दूसरी ओर, मोहनखाल के समीप पैरखाल क्षेत्र में भी आज सुबह दस बजे जंगल में आग लग गई है।