Friday, August 31, 2007

19 die in road mishaps in Uttarakhand

Dehra Dun, Aug. 30 (PTI): At least 19 people were killed and 31 others injured in separate road accidents in Uttarakhand, official sources today said.

Eight people were killed and 23 others injured when a bus fell into a ditch after being hit by boulders from a hilltop at Guilo village in Chamoli district this morning. Rescue operation have been launched in the area. Chief Minister B C Khanduri expressed shock over the accidents and asked district authorities to provide the best medical care.

In a separate mishap in Kanarichhina are of Almora district yesterday, a jeep carrying 17 passengers fell into a 200-meter deep khud killing nine of them. Eight others were also injured in the incident.

Two women were washed away in the fast currents of a Ganga canal near Rishikesh after the motorcycle on which they were riding met with an accident and fell into it. However, the man, who was driving the bike managed to swim to safety.

The government has ordered a compensation of Rs 50,000 to all the victims.



Source : http://www.hindu.com/thehindu/holnus/002200708301755.htm



Uttarakhand's BJP Govt, to promote 'gomutra'

Dehra Dun, Aug. 19 (PTI): Close on the heels of its ban on cow slaughter, the BJP Government in Uttarakhand is set to promote 'gomutra' or cow urine for use in ayurvedic medicines.

Due to the urine's reportedly unique properties, including the presence of anti-carcinogenic agents, the government will set up cooperative societies to collect gomutra that will be sold to yoga guru Baba Ramdev for use in his pharmacy, Animal Husbandry Minister Trivendra Singh Rawat said.

Ramdev evinced interest in buying the urine for his Haridwar-based Divya Yoga pharmacy that produces ayurvedic formulations using gomutra, said Rawat.

"The government has received a proposal from Ramdev and we are seriously considering it," he said.

Ramdev is ready to buy the urine at the rate of Rs five to Rs six a litre, sources said.

"I met Acharya Balkrishna, who is in-charge of Divya Yoga pharmacy, regarding the deal," Rawat told PTI.

Since cow urine does not decay for 10 to 15 days, the government is also thinking of setting up a urine bank.

A special awareness programme on cow urine will be launched in villages across the state, Rawat said.

Last month, the state government enacted a law banning cow slaughter. Violations of the law are punishable with prison terms ranging from three to 10 years and with fines of up to Rs 10,000.

Article Source : http://www.hindu.com/thehindu/holnus/004200708191161.htm

Thursday, August 30, 2007

छोटी सी उम्र में अमेरिका की सैर कर आई आंचल

पौड़ी (पौड़ी गढ़वाल)। कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, यही बात साबित कर दिखाई है पौड़ी जनपद के सबसे पिछड़े क्षेत्र धुमाकोट की कक्षा आठवीं की छात्रा आंचल पटवाल ने। आंचल उन छह भारतीय प्रतिभावान बच्चों में से एक है, जिन्हे हाल ही में 'स्टडीज-कम-कल्चर एक्सचेंज प्रोग्राम' के तहत अमेरिका जाने का मौका मिला।
हावर्ड विश्वविद्यालय से संबद्ध स्वयंसेवी संस्था ग्लोबल एजूकेशन इनिसिएटिव की पहल पर भारत से छह बच्चों को चयनित कर 'स्टडीज-कम-कल्चर एक्सचेंज प्रोग्राम' के तहत जून माह में अमेरिका भेजा गया था। इन छह बच्चों में से सरस्वती शिशु मंदिर धुमाकोट की कक्षा आठवीं की छात्रा आंचल पटवाल भी एक हैं। अमेरिका से लौटने के बाद जागरण से विशेष भेंटवार्ता में आंचल ने बताया कि उन्होंने करीब दो माह तक अमेरिका में रहकर विश्वभर से आए करीब तीन सौ बच्चों से मुलाकात की तथा उनके सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश से रूबरू हुई। आंचल की इस उपलब्धि से उसके माता-पिता के साथ ही विद्यालय के शिक्षक ही नहीं बल्कि क्षेत्रवासी भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। आंचल खुद को भी सौभाग्यशाली मानती है कि उन्हे छोटी सी उम्र में विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका घूमने का मौका मिला। वह बताती है कि कैंप के दौरान उन्होंने घुड़सवारी, तैराकी व साइकिलिंग सीखने के अलावा वहां के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण भी किया। आंचल बड़ी होकर एक ख्यातिप्राप्त चित्रकार बनना चाहती है। आंचल के पिता विनोद पटवाल कृषि विभाग में कार्यरत है, जबकि उनकी माता साधारण गृहणी है। सरस्वती शिशु मंदिर धुमाकोट के प्राचार्य विशम्भर नौटियाल भी आंचल की इस उपलब्धि से काफी गदगद है। उनका कहना है कि आंचल एक प्रतिभावान छात्रा है, जो पढ़ाई में अव्वल होने के साथ ही संस्कारित भी है। उसकी इस उपलब्धि से पूरा विद्यालय परिवार खुद को गौरवान्वित महसूस करता है।

जागरण-->समाचार


Monday, August 27, 2007

Charu Semwal Tune Kya Kaha

I was very shocked when I heard news from my friend. He told me he was watching a news on ETV news channel and what he saw there that Miss. Charu Sewmal, a voted out participant of Indian Idol was performing in a live stage show in Rishikesh and during her performance she interacted with people and media person and said that nobody was know about Uttarakhand state earlier her performance in India. She further said that when she came to Indian Idol and performed there than most of people knew about Uttarakhand that it is also a state of India. She says to media person she was very happy because she gave fame to Uttarkhand?. She said that Uttarkhand is being recognizing by her name in the India.


I would like to ask you people are you agreeing with her comments? What types of wording she has been using? Is it true that nobody were known about uttarakhand before her performance?

“Kya hamara Uttarakhand kisi ki pahichan ko mohtaj hai”


We all did support her and what result we found? It shows that she has no regards for our state, for our people or for our community. We all know that she was a versatile singer and we admire it. We do agree that she gave fame to our state, to our people and to our community but I saw arrogance in her attitude. I also noticed her attitude at that time when she was voted out. Perhaps you people also noticed.


I have no more words to say.........


Ek kahawat hai ki "apne miya mittu ban naa" aur ek doosri kahawat hai ki "Apni aukat na bhoolna", shayad hum logon ki yahi visheshta hai ki hum log apni aukat bhool jate hai ki hum pahle kya the aur ab kya hai, ye hamare liye bade sharm ki baat hai, jis maa ne humko janm diya aur kal hum usi maa ke samne kah rahe hai ki mai bahut khush hoo ki maine apne maa ki ejjat rakhi, uski kokh se janm lekar.


I want to clarify that I have no problem with her performance or her talent, she is good singer, performer, and I wish for her bright future but I do object only her wordings and her attitude. We should to think before we are going to say something.


If I am writing something wrong I beg apologize.


Collected Article from Net

Sunday, August 19, 2007

अधखिले कुसुम थे कविवर चन्द्रकुंवर

रुद्रप्रयाग। .मुझे प्रेम की अमरपुरी में, अब रहने दो
अपना सब कुछ देकर, कुछ आंसू लेने दो,
प्रकृति के चितेरे कवि स्व. चन्द्र कुंवर बत्र्वाल ने जिस अल्प आयु में ही काव्य के क्षेत्र में नये आयामों को छुआ वहीं काव्य जगत का यह अधखिला कुसुम अपनी महक को दूर-दूर तक बिखेरता गया, लेकिन आज सरकारी अमले की उपेक्षा के चलते कवि के संघर्षमय जीवन व उनके उद्गार आम आदमी की पहुंच से दूर है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कवि की जन्म व कर्म स्थली उपेक्षित पड़ी हुई है।
जिले के सुरम्य गांव मालकोटी में 20 अगस्त 1919 को जन्में प्रकृति के चितेरे कवि स्व. चन्द्र कुंवर बत्र्वाल की जन्मस्थली व कर्म स्थली पवांलियां सरकारी उपेक्षा का शिकार है। दोनों स्थानों पर न तो कवि की कोई स्मृति और नहीं कोई ऐसी पहचान जो उनके संघर्षमय जीवन की यादें लोगों तक पहुंचा सके। कवि की प्राइमरी शिक्षा उडमांडा, मिडिल नागनाथ तथा हाईस्कूल मैसमूर पौड़ी से सम्पन्न हुई। सभी जगह-जगह प्रकृति के अपूर्व दर्शन का उनको मौका मिला और इसका प्रभाव उन पर छात्र जीवन से ही पड़ने लगा। पन्द्रह वर्ष की अल्प आयु में ही उनकी लेखनी साहित्य सृजन की ओर ढलने लगी। इसी क्रम में वर्ष 1934-35 में क्षत्रियवीर नामक कविता ने उन्हे एक नयी पहचान चन्द्र कुंवर के रूप में दी। इसके बाद कविता, कहानी, नाटक आदि लिखने का सिलसिला चलता रहा, साथ ही पढ़ाई भी। इंटरमीडिएट डीएवी देहरादून से उत्तीर्ण करने के बाद वे अग्रिम शिक्षा के लिए लखनऊ चले गए जहां उनका परिचय अनेक कवियों व साहित्यकारों से हुआ और उन्होंने काव्य जगत के क्षेत्र में नये आयाम छूने शुरू कर दिए, लेकिन विधाता को यह सब मंजूर नहीं था, इसी वक्त काल ने ऐसा चक्र चलाया कि वह गम्भीर रोग का शिकार हो गए। रोग की असाध्यता और उपचार की असमर्थता उन्हे घर की ओर ले आयी। इसे देख कवि ने सुरक्षित स्थान पवांलियां(भीरी के पास)अपना आशियाना बनाया तथा निरंतर स्वास्थ्य में गिरावट आने के बाद लेखनी से उनका संघर्ष जारी रहा। 14 सितम्बर 1947 की रात 28 वर्ष की अल्प आयु में कवि दुनिया को अलविदा कहकर चल दिए। आज जहां कवि की मृत्यु के भी लगभग साठ वर्ष व देश स्वतंत्रता के भी साठ साल गुजर चुके है, लेकिन कवि की रचनाएं व पहचान आज भी उपेक्षा का दंश झेल रही है।

जागरण

Garhwali Aur Kumaouni Sanskiritik Karyakaram

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Friday, August 17, 2007

चिन्यालीसौड़: जलमग्न होने लगे चौदह गांव

उत्तरकाशी। टिहरी बांध झील का जल स्तर 795 आरएल पहुंचते ही पानी ने चिन्यालीसौंड़ के डूब क्षेत्र में आने वाले चौदह गांव धीरे-धीरे जलमग्न होने लगे हैं। पानी बढ़ने की रफ्तार यदि ऐसी ही रही तो कुछ ही दिनों में सुनार गांव को मोटर झूला पुल के पानी में डूबते ही बत्तीस गांवों का जनसंपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह से कट जाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने पर प्रखंड की जनता ने आंदोलन की रणनीति बना दी है।
इन गांवों में रहने वाले परिवार पहले ही गांव छोड़ चुके थे। प्रखंड का भल्डगांव, बलडोगी, हडियाड़ी, बड़ी मणी, छोटी मणी, कुमराड़ा, मुंडारासेरा, बधांण गांव, देवीसौड़़ और नगूण लगभग झील में समा चुके हैं। इन गांवों की लोगों ने इस साल भी अपने खेतों में फसल बोई थी जो झील में समा रही है। कई घरों के के केवल छत ही नजर आ रही है। जलस्तर बढ़ने से अब जोगत-चिन्यालीसौड़ मोटर के सुनार गांव वाले झूला पुल के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। कुछ ही दिनों में यह पुल भी पानी में समा जाएगा जिससे लगभग बत्तीस गांवों की पचास हजार से अधिक आबादी प्रभावित होगी। इस क्षेत्र के गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला यही एक मात्र पुल है। क्षेत्र में आवाजाही के लिए अभी तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने पर क्षेत्र के गमरी, दिचली और बिष्ट पट्टी की जनता ने बांध प्रशासन और शासन के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बना ली है। सोमवार को प्रखंड के क्षेत्र पंचायत सभागार में हुई तीनों पट्टियों की जनता और जनप्रतिनिधियों की बैठक में संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन की रणनीति बनाई गई। क्षेत्र की जनता कल जिलाधिकारी को ज्ञापन देंगे। 24 अगस्त को तहसील मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो 3 सितंबर को राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया जाएगा।

जागरण

Thursday, August 16, 2007

Nominate Nanda devi for 7 Natural wonders

Lets try to Nominate Nanda devi for 7 Natural wonders

Spare few minutes and forward to your friends after nominating

Name: Nanda Devi National Park

Link
http://www.natural7wonders.com/

Catagory : Nature Conservancy

Country India: India

Thanks

वर्षा से कृषि भूमि बही, भूस्खलन का खतरा

कर्णप्रयाग (चमोली)। थराली में हुई मूसलाधार वर्षा से कई नाली कृषि भूमि स्थानीय गदेरों की बलि चढ़ गई है।
थराली अपर बाजार, नासिर बाजार, भेटा गांव, मुस्लिम बस्ती के नीचे भूस्खलन होने से कई आवासीय मकानों को खतरा पैदा हो गया है। चौंडागांव में बच्चीराम, पारसिंह व देवेन्द्र का मकान क्षतिग्रस्त हो गया है। कुलसारी क्षेत्र में पासतोली, ग्वाड़, सालपुर के बीच भूस्खलन जारी है प्राथमिक विद्यालय मैटा को जाने वाला रास्ता टूटने से बच्चों को दिक्कतें आ रही है। कर्णप्रयाग-नैनीस्ैांण मोटर मार्ग पर जगह-जगह बडी लागत वाले पुश्ते धराशाही होने से कई स्थानों पर मोटर मार्ग जानलेवा बन गया है। सिमली-शैलेश्वर मोटर मार्ग पर भी जगह-जगह मिट्टी पत्थर जमा हो गए है। कर्णप्रयाग-गैरसैंण मोटर मार्ग की भी बदहाल स्थिति हो रखी है और लगातार पत्थर गिरने से इस पर खतरा बना हुआ है। इसी तरह सोनला कंडारा, बगोली, कोटी मार्गो की भी स्थिति है। हरमनी क्षेत्र में भी वर्षा होने से कई संपर्क रास्ते टूट गये हैं। साथ ही कई मकानों पर दरारें आ गयी है। ग्राम आदरा में बीरी राम, राजेन्द्र राम, हरक राम के आवासीय मकानों को नुकसान पहुंच गया है। थराली-ग्वालदम, नंदकेशरी-देवाल, बोरागाड़-हरमल आदि मोटर मार्ग जगह-जगह टूटने से आवाजाही बंद हो गयी है।
जागरण

अगस्त्यमुनि व चोपड़ा क्षेत्र में बारिश से भारी तबाही

अगस्त्यमुनि/चोपड़ा (रुद्रप्रयाग)। अगस्त्यमुनि व चोपड़ा क्षेत्र में बारिश से भारी क्षति पहुंची है। कई नाली काश्तकारी भूमि व आवासीय भवनों के साथ ही पेयजल लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों के समक्ष भारी दिक्कतें पैदा हो गई है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने क्षति का आंकलन कर उचित मुआवजे की मांग जिला प्रशासन से की है।
प्रखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत ग्राम सभा सुरसाल में मूसलाधार बारिश के चलते कई काश्तकारों की लगभग बीस नाली सिंचित भूमि तबाह हो गई, जबकि अस्सी परिवारों को पेयजल आपूर्ति कराने वाली योजना की पाइप लाइनें भी मलबा व पत्थर आ जाने से टूट गई है, जिससे क्षेत्र में पेयजल संकट पैदा हो गया है। वहीं क्षेत्र के बेला व लालकंठा तोक में सात परिवारों के आवासीय भवनों को भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है। इससे परिवारों के समक्ष आवास की समस्या पैदा हो गई है, अन्य विकल्प न होने के कारण वे इन्हीं भवनों में रहने को मजबूर है। कई संपर्क पैदल मार्ग बारिश की चपेट में आने से जगह-जगह टूट चुके है। क्षेत्र पंचायत सदस्य धीर सिंह बिष्ट ने बताया कि समय रहते प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए तो कोई अप्रिय घटना घट सकती है। उन्होंने प्रशासन से इस ओर आवश्यक पहल की मांग की है। वहीं, चोपड़ा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा धारकोट निवासी सुल्तान सिंह का मकान बारिश से पूरी तरह ध्वस्त हो गया है, जिससे उनके परिजन बेघर हो गए है। ग्राम सभा पाली के बलवंत व डुंगरी के दिग्पाल सिंह तथा प्रकाश सिंह के आवासीय भवन को भी भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है। ग्राम सभा चोपड़ा को पेयजल आपूर्ति कराने वाली योजना मलबे की चपेट में आ ध्वस्त हो गई। वहां आपूर्ति ठप पड़ी हुई है।

जागरण

Natural Calamity in Uttarakhand

Rudraprayag (Uttarakhand), Aug.15: Villagers in Uttarakhand's Rudraprayag District are living a life of misery even a year after falling victim to landslides and floods.

At least 12 villages are living in constant fear of losing their lives or houses during the day, as each one of them is highly vulnerable to natural disasters like landslides and cloudbursts.

Apart from the topographical disadvantages, the threat posed by natural calamities gives sleepless nights to them.

In 2006, the villagers of Dholteer and Panjana faced horrific destruction in terms of property and livestock loss.

Today, places like Dholteer, Panjana, Tilbada, Jakholi, Gadbu, Tiyuli, Mona, Kot Birla, Bharoda and Bhavana villages have been declared the worst affected.

Jagmohan Chand, a resident of Gohltir village, said: "We have nowhere to go. Last July, when a natural disaster occurred here, many ministers came here and assured us of constructing check-down bund at the earliest. We have also requested the Chief Minister, but to no avail."

"We are worried. We have no place to stay. Our children are scared. At anytime natural calamity can occur and our children can become victims of it," he added.

The District administration, however, claims that attempts are being made to provide succour in the most sensitive areas through disaster management initiatives.

D. Senthil Pandian, Rudraprayag's District Magistrate, said: "We have directed the scientists of geological department to undertake a survey to ascertain the houses that are unsafe and provide us its full report."

"We have planned to shift them to the Panchayat Bhavan, primary schools and inter colleges. Two of the families have already been shifted; they are residing in a primary school. We are doing it as a precautionary measure," he added.

The villagers say that much more needs to be done.

Mangal Singh, the village head of Panjana Village, said: "The administration has provided us with tents and some financial help. As per the official rules, rupees 25,000 has been given to the villagers whose houses were completely damaged. But it has flaws. If there are two married brothers, they will be given money for one house only. It will only lead to more problems."



From a new paper media source.

Sunday, August 12, 2007