Friday, June 13, 2008

बड़े पनबिजली संयंत्रों से उत्तराखंड को है परहेज

दिनो-दिन बुलंद होते 'भागीरथी बचाओ' के नारे के साथ ही देश के जाने-माने पर्यावरणविद् जी डी अग्रवाल और उनके तमाम साथी पिछले दिनों अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर चले गए।

इसके एक दिन बाद उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वह राज्य में बनने वाली बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के पक्ष में नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार सिर्फ उन परियोजनाओं को मंजूरी देगी जो प्राकृतिक रूप से बहती नदियों पर बनाई जानी है और टिहरी जैसी बांध परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दी जाएगी।

गांधीवादी विचारों का अनुसरण करने वाले 76 वर्षीय अग्रवाल चित्रकूट के रहने वाले हैं। देश की पवित्र नदियों में से एक भागीरथी पर एक के बाद एक बन रहे पनबिजली संयंत्रों के खिलाफ अग्रवाल और उनके साथी ने पिछले दिनों राज्य के उत्तरकाशी में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। अग्रवाल के साथ इस भूख हड़ताल में राजेंद्र सिंह, गोविंदाचार्य, सुनीता नारायण, वंदना शिवा और एम सी मेहता जैसे देश के जाने-माने पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं।

जिस दिन से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू की, उसे अग्रवाल ने 'गंगा दशहरा' का नाम दिया है। अग्रवाल ने कहा कि अगर ऐसे ही पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी मिलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश की सबसे पवित्र नदी भागीरथी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य में जो पनबिजली परियोजानाओं का निर्माण किया जाना है उनमें- पाला मनेरी, मनेरी भाली फेस-11, लोहरी नागपाल, कोटेश्वर, भैरव घाटी और जद गंगा आदि शामिल हैं। इन परियोजनाओं से पर्यावरण के लिए भी समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी।

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