Wednesday, June 18, 2008

पनबिजली से तौबा की तैयारी

उत्तराखंड सरकार उत्तरकाशी और गंगोत्री नदी के बीच पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण कार्य को बंद करने पर विचार कर रही है।

मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार उत्तराखंड की बिजली संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाती है तो उनकी सरकार पाला मनेरी और भैरो घाटी परियोजना को स्थगित करने के लिए तैयार है।

खंडूड़ी इस संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर रहे हैं। इस बीच भगीरथी पर पनबिजली परियोजनाओं के विरोध में राज्य के दिग्गज पर्यावरणविद् डॉ जी डी अग्रवाल का आमरण अनशन पांचवे दिन भी जारी रहा। माना जा रहा है कि चौतरफा दबाव बढ़ने के बाद सरकार ने भागीरथी पर पनबिजली परियोजनाओं के विकास से तौबा करने का पूरा मन बना लिया है।

राज्य के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने इस बात का संकेत दिया है कि अगर राज्य की बिजली आपूर्ति का जिम्मा केंद्र सरकार ले तो इस पवित्र नदी पर पनबिजली परियोजनाओं को रोकने में उन्हें कोई परेशानी नही है। लेकिन खंडूड़ी ने एक बात स्पष्ट तौर पर कही है कि चूंकि लोहारी नागपाला पर चल रही 600 मेगावाट की पनबिजली परियोजना एनटीपीसी के जिम्मे है, इसलिए उसे बंद करने का निर्णय भी केंद्र सरकार को ही लेना है।

विरोध को समर्थन

खंडूड़ी का बयान ऐसे समय में आया है जब भागीरथी पर पनबिजली प्रोजेक्ट पर विरोध कर रहे अग्रवाल को विश्व हिंदू परिषद और संघ परिवार ने समर्थन देने की बात की थी।

भागीरथी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं के मामले पर गरमाती राजनीति के बाद मुख्यमंत्री ने इस तरह का बयान देकर नरम रवैया अपनाने का संकेत दिया है। अग्रवाल ने शुक्रवार से भागीरथी नदी के प्रमुख घाट मणिकर्णिका घाट पर इस प्रोजेक्ट को बंद करने की मांग करते हुए आमरण अनशन जारी किया था। इस समय उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

विश्व हिंदू परिषद ने इस बावत अपने केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया है कि वे अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में भागीरथी को बचाने के लिए अभियान चलाएंगे। उनका मानना है कि गंगा की शुद्धता का मामला पूरे देश के लिए एक अहम मसला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित संगठन हिंदू जागरण मंच ने भी इस मसले पर अग्रवाल के अनशन का समर्थन करने का निर्णय लिया है।

इसके पहले द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद ने भी भागीरथी को बांधों से घेरने का विरोध किया था। इस विरोध का समर्थन करने के लिए प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सुंदर लाल बहुगुणा, एम सी मेहता, राजेन्द्र सिंह भी अग्रवाल के साथ खुले तौर पर आ गए है। भागीरथी नदी पर बनने वाले बांधों में पाला मनेरी (480 मेगावाट), लोहारी नागपाला (600 मेगावाट), भैरों घाटी (381 मेगावाट), और जड़ गंगा (200 मेगावाट) आदि प्रमुख हैं।

ऊर्जा राज्य बनने का सपना

उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरणविद् 'भागीरथी बचाओ' अभियान चला रहे हैं और इस नदी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं।

उत्तराखंड देश के सबसे तेजी से उभर रहे राज्यों में से एक है। यह राज्य 'ऊर्जा राज्य' के रूप में काफी तेजी से विकसित हो रहा है। राज्य सरकार आने वाले तीन से दस साल में पनबिजली परियोजना के जरिए 25,000 से 30,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बना रही है।

उल्लेखनीय है कि इस पहाड़ी राज्य में बिजली कारोबार के लिए रिलायंस एनर्जी, जीवीके, जीएमआर, एनएचपीसी, टीएचडीसी और एनटीपीसी जैसी बड़ी कंपनियां होड़ में हैं। लेकिन राज्य में बांधों को लेकर लोगों में विरोध बढ़ रहा है। राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले से लेकर गढ़वाल में चमोली तक, जितनी भी नई परियोजनाएं बनी हैं, उससे हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा। यही नहीं, कई शहरों और गांवों के लिए ये बांध मौत की घंटी भी साबित हुए हैं।

पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाएं नदी को खा जाएंगी। इन परियोजनाओं के तहत जो सुरंगें बनने वाली हैं, उनसे यहां की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। उत्तराखंड की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और वे यहां बनने वाले बांधों को लेकर काफी सहमे हुए हैं।

अगर यहां निर्माण कार्य शुरू हो जाता है तो वे बेघर हो जाएंगे। भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाओं और उससे हजारों लोगों के बेघर होने की आशंका के मद्देनजर पर्यावरणविद् बीते तीन महीनों से राज्य के विभिन्न शहरों में रैलियां निकालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

अंधेरा फैलाता तरल सोना

पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े लोग बांध में जमा पानी को तरल सोने की संज्ञा देते हैं लेकिन इस सोने को जमा करने के लिए टिहरी में करीब एक लाख लोगों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ी थी।

अब उत्तराखंड सरकार ने भी कह दिया है कि वह टिहरी जैसी परियोजनाओं के पक्ष में नहीं है। राज्य के पिथौरागढ़ जिले में 280 मेगावाट की धौलीगंगा परियोजना की राह में आने वाले अलीगढ़ गांव और उसके 24 परिवारों को उखड़ना पड़ा था। अलीगढ़ से 50 किमी की दूरी पर केंद्र सरकार अब 6,000 मेगावाट की पंचेश्वर पनबिजली परियोजना के निर्माण कार्य की योजना बना रही है।

यह परियोजना भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर बनाया जाएगा। यह परियोजना टिहरी बांध के आकार की तीन गुनी होगी। यह आशंका जताई जा रही है कि इस परियोजना के निर्माण से करीब 80,000 लोग बेघर हो जाएंगे। यही नहीं, चमोली जिले के लोग भी विशाल सुरंग के निर्माण को लेकर काफी आक्रोशित हैं। इसके अलावा जोशीमठ के नजदीक अलकनंदा नदी पर भी एक मेगा प्रोजेक्ट की वजह से जोशीमठ नगर के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है।

भागीरथी पर बनने वाले बांध

परियोजना का नाम क्षमता
पाला मनेरी 480 मेगावाट
लोहारी नागपाला 600 मेगावाट
भैरो घाटी 381 मेगावाट
जड़ गंगा 200 मेगावाट

http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=4693

No comments: