पौड़ी (पौड़ी गढ़वाल)। कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, यही बात साबित कर दिखाई है पौड़ी जनपद के सबसे पिछड़े क्षेत्र धुमाकोट की कक्षा आठवीं की छात्रा आंचल पटवाल ने। आंचल उन छह भारतीय प्रतिभावान बच्चों में से एक है, जिन्हे हाल ही में 'स्टडीज-कम-कल्चर एक्सचेंज प्रोग्राम' के तहत अमेरिका जाने का मौका मिला।
हावर्ड विश्वविद्यालय से संबद्ध स्वयंसेवी संस्था ग्लोबल एजूकेशन इनिसिएटिव की पहल पर भारत से छह बच्चों को चयनित कर 'स्टडीज-कम-कल्चर एक्सचेंज प्रोग्राम' के तहत जून माह में अमेरिका भेजा गया था। इन छह बच्चों में से सरस्वती शिशु मंदिर धुमाकोट की कक्षा आठवीं की छात्रा आंचल पटवाल भी एक हैं। अमेरिका से लौटने के बाद जागरण से विशेष भेंटवार्ता में आंचल ने बताया कि उन्होंने करीब दो माह तक अमेरिका में रहकर विश्वभर से आए करीब तीन सौ बच्चों से मुलाकात की तथा उनके सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश से रूबरू हुई। आंचल की इस उपलब्धि से उसके माता-पिता के साथ ही विद्यालय के शिक्षक ही नहीं बल्कि क्षेत्रवासी भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। आंचल खुद को भी सौभाग्यशाली मानती है कि उन्हे छोटी सी उम्र में विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका घूमने का मौका मिला। वह बताती है कि कैंप के दौरान उन्होंने घुड़सवारी, तैराकी व साइकिलिंग सीखने के अलावा वहां के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण भी किया। आंचल बड़ी होकर एक ख्यातिप्राप्त चित्रकार बनना चाहती है। आंचल के पिता विनोद पटवाल कृषि विभाग में कार्यरत है, जबकि उनकी माता साधारण गृहणी है। सरस्वती शिशु मंदिर धुमाकोट के प्राचार्य विशम्भर नौटियाल भी आंचल की इस उपलब्धि से काफी गदगद है। उनका कहना है कि आंचल एक प्रतिभावान छात्रा है, जो पढ़ाई में अव्वल होने के साथ ही संस्कारित भी है। उसकी इस उपलब्धि से पूरा विद्यालय परिवार खुद को गौरवान्वित महसूस करता है।
Thursday, August 30, 2007
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1 comment:
अच्छी खबर है। हिन्दी में और भी लिखिये।
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