Sunday, September 16, 2007

चंद्रकुंवर की रचनाओं को उचित स्थान दिया जाए

रुद्रप्रयाग। प्रकृति के चितेरे कवि स्व.चंद्रकुंवर की पुण्य तिथि पर कलश साहित्य संस्था के तत्वावधान में काव्यपाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
नये बस अड्डे पर आयोजित कार्यक्रम में कवियों ने प्रकृति के चितेरे कवि स्व.चंद्र कुंवर बत्र्वाल की कविताओं का पाठ कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर गढ़गौरव नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि कवि की कविताओं को आज भी उतना महत्व नहीं मिल पा रहा है और आम जनमानस उनकी उपलब्धियों से अनजान है। उन्होंने कहा कि कवि की रचनाओं को उचित स्थान दिया जाना चाहिए, इसके लिए हम सब के प्रयास करने की आवश्यकता है। कुमांऊ विवि के निदेशक प्रो. लक्ष्मण सिंह बिष्ट 'बटरोही' ने कहा कि चंद्रकुंवर की कविताओं को उचित मंच देने के लिए कार्यक्रमों की आवश्यकता है। साथ ही ऐसे कार्यक्रमों में उनकी रचनाएं भी आम जनमानस तक पहुंचेंगी। कवि गणेश कुकसाल गणी ने राजनीति पर व्यंग्यात्मक ढंग से प्रहार किए। नंदन किशोर नौटियाल ने पहाड़ और बेटी कविता से उपस्थित लोगों को जागरूक किया। अंत में नरेंद्र सिंह नेगी ने चंद्र कुंवर की कविता का पाठ करते लोकगीत घंघतौल छौं माया च त लगे ज भ्रम ची त तोड़ी जा सहित अन्य कविताओं के साथ ही गढ़वाली गीत लयूं छौ भाग छांटी की गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

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