Tuesday, September 18, 2007

टिहरी बांध की झील में डूबी करोड़ों की वन संपदा

उत्तरकाशी। टिहरी बांध की झील में जहां करोड़ों की वन संपदा पानी में डूब कर नष्ट हो गई वहीं लाखों की लागत से बने पुल पानी में डूबने की कगार पर है। जिला प्रशासन चाहता तो इस संपदा को बचा सकता था किंतु इस दिशा में एक कदम भी नहीं उठाया गया।

टिहरी बांध की झील निरंतर विस्तार ले रही है। देवीसौड़ में करोड़ों की वन संपदा पानी में समा गई। शीशम, साल, खैर समेत अन्य पेड़ झील में समा गए। इस वन संपदा को वन विभाग बचा सकता था किंतु प्रभागीय वनाधिकारी उत्तरकाशी की ओर से इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। मात्र यही नहीं दैवी सौड़ में लाखों की कीमत का एक पुल पहले ही डूब चुका है और अब चिन्याली-जोगथ पुल जल मग्न हो जाएगा। वन विभाग यदि चाहता तो झील के विस्तार लेते ही पेड़ों काट कर उन्हें सुरक्षित कर सकता था। इन पेड़ों की बिक्री कर लाखों का फायदा मिलता। लाखों की इमारती लकड़ी प्राप्त करने के लोगों ने वन विभाग को आवेदन पत्र तक दिए किंतु वन विभाग इन आवेदनों पर कोई रुचि नहीं ली। भाजपा जिला महामंत्री राम सुंदर नौटियाल व चिन्यालीसौड़ ब्लाक के ज्येष्ठ प्रमुख ने यह मामला प्रदेश के सिंचाई मंत्री मातवर सिंह कंडारी के समक्ष रखा। उन्होंने सिंचाई मंत्री ने मांग की कि उत्तरकाशी जिला प्रशासन की हीला हवाली की जांच की जाए। सिंचाई मंत्री ने जन प्रतिनिधियों को विश्वास दिलाया कि इस पर निश्चित रूप से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3748348.html



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