Monday, March 24, 2008

संस्कृति को संजोने को जागरी बनें प्राध्यापक

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। जनता दल यूनाइटेड के सुझाव पर अमल हुआ तो गांवों में जागर लगाने वाले जागरी, महाविद्यालयों में प्राध्यापक व चिकित्सालयों में मनोरोग विशेषज्ञ के पद संभालेंगे।

जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष आरके त्यागी की ओर से सूबे के मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा है कि उत्तराखंड की संस्कृति को लुप्त होने से बचाने के लिए पारंपरिक विधा ढोल सागर को माध्यमिक व महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ जागरियों को बतौर शिक्षक नियुक्ति दी जाए। कहा गया कि प्रदेश की जनता पारंपरिक रूप से कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है। अधिकांश लोग ऐसे रोगों से ग्रस्त हैं, जो केवल ध्वनि तरंगों, वाद्य यंत्रों व जागर लगाकर ही ठीक हो सकते हैं। इनका इलाज दुनिया के किसी भी आधुनिकतम मेडिकल कालेज में नहीं है। इसके लिए अनुभवी, प्रशिक्षित, मद्य निग्रही, सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकृत जागरियों को प्रत्येक चिकित्सालय व मेडिकल कालेज में मनोरोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया जाए। पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य में धार्मिक कार्य संपादित करने वाले विद्वान, पंडित-पुरोहितों को प्रत्येक गांव के प्राथमिक विद्यालयों में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने का दायित्व सौंपा जाए। इसके अलावा उत्तराखंड में अनूसूचित जाति के लोगों को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का कोटा तय करते हुए आरक्षित कोटे में से सत्तर फीसदी पहाड़ी व तीस फीसदी मैदानी क्षेत्र में रहने वालों को सरकार व गैर सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था की जाए।

No comments: