Wednesday, October 10, 2007

आय का अहम जरिया है सगंध पौधों की खेती

सितारगंज(ऊधमसिंहनगर)। ग्राम कल्याणपुर में सगंध पौधों की खेती को लेकर आयोजित प्रशिक्षण शिविर में कहा गया कि यह आय का महत्वपूर्ण जरिया बन सकता है। बताया गया कि इन्हे अन्य फसलों के साथ भी उगाया जा सकता है।

सगन्ध पौध केन्द्र सेलाकुई (देहरादून) के तत्वावधान में दिये गये एक दिनी प्रशिक्षण में वैज्ञानिक आरके यादव ने बताया गया कि उत्तराखण्ड को हर्बल राज्य के रूप में विकसित करने के लिए तमाम योजनायें चलाई गई है। इसके तहत पहले चरण में विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम लौका, नकुलिया, सिसौना, धूसरी खेड़ा, कल्याणपुर आदि का चयन किया गया है। इनमें सगंध पौधों का कृषीकरण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में ज्यादातर लेमनग्रास, मैन्था, पामारोजा, सिट्रोनेला, कैमोमिल की खेती की जा रही है। यादव ने बताया कि कल्याणपुर में आसवन संयंत्र भी स्थापित किया गया है। उन्होंने किसानों को विभिन्न प्रजाति के पौधों की खेती के बारे में बताया।

केन्द्र के वैज्ञानिक शेर सिंह ने पामारोज व मैन्था की खेती के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि इससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। सगंध पौधों की खेती कर रहे काश्तकार रतन सिंह व कलस्टर के तकनीकी सदस्य शंकर लाल सागर ने बताया कि क्षेत्र में करीब चार सौ बीघा भूमि पर सगंध पौधों की खेती हो रही है। इससे किसानों को छह हजार रुपया प्रति बीघा की अतिरिक्त आय हो रही है। जिला पंचायत सदस्य बहादुर सिंह ने भी सगंध पौधों की खेती को लाभदायक बताया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3811256.html

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