उत्तरकाशी। गंगा का प्रवाह थमते ही स्पष्ट हो गया है कि मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना की झील ज्ञानसू के कई आवासीय भवनों को भी समा लेगी। इन भवनों की सुरक्षा के लिए वर्तमान में कोई इंतजाम नहीं है।
304 मेगावाट की मनेरी भाली जल विद्युत द्वितीय चरण का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। ज्ञानसू में परियोजना की झील गुरुवार को पहली बार अस्तित्व में आई। गंगा का पानी नर्मदेश्वर मंदिर तक पहुंचा। झील के अस्तित्व में आने के बाद यह साफ हो गया है कि ज्ञानसू खतरे में है। झील का पानी ज्ञानसू ही नहीं बल्कि पुलिस लाइन को भी डुबा सकता है। झील के एक छोर पर ज्ञानसू और दूसरे पर जोशियाड़ा स्थित है। सिंचाई विभाग ने बैराज टेस्टिंग के लिए पहली बार पानी भरा, पानी का लेबल 10.99 रहा और अभी 1108 तक के लेबल तक झील बननी है। बैराज के एक कोने पर लगे पैमाने के बराबर झील बननी है और झील बनते ही यह स्पष्ट हो गया है कि पानी ज्ञानसू को डुबो सकता है। यही वजह भी रही कि सिंचाई विभाग ने 1099 लेबल तक पानी भरा और फिर बैराज के शटर खोल दिए गए। सिंचाई विभाग ने उस सर्वे रिपोर्ट को छुपा दिया जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि ज्ञानसू के 70 आवासीय भवन झील में समा जाएंगे जबकि ऊर्जा निगम के चैयरमेन योगेन्द्र प्रसाद ने राजधानी में हुई एक वार्ता में स्पष्ट कहा कि परिजयोजना के रिजवायर क्षेत्र में नए बने करीब 70 मकान खतरे में हैं और इन मकानों की सुरक्षा की जा रही है। ज्ञानसू के प्रभावितों ने सुरक्षा दीवार की मांग को लेकर एक बार फिर डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में उल्लेख है कि नर्मदेश्वर टापू पर धरने के बाद उप जिलाधिकारी भटवाड़ी ने शासनादेश का हवाला देकर उन्हें धरने से तो उठा दिया किंतु सुरक्षा दीवार का निर्माण अभी भी शुरू नहीं हुआ है। प्रभावितों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाए कि विभागीय अधिकारियों ने जनता के धन का दुरुपयोग किया है और इसके लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3834277.html
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