गौचर (चमोली)। 86 ग्राम पंचायतों वाले कर्णप्रयाग विकासखंड के गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। गांवों में स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत, शिक्षा, संचार व यातायात की समस्याओं से लोगों को जूझना पड़ रहा है।
वर्ष 1960 में स्थापित इस प्रखंड में 178 प्राथमिक, 33 जूनियर हाईस्कूल, 4 संस्कृत महाविद्यालय, 13 राजकीय इंटर कालेज, 2 राबाइंका और 1 स्नातकोत्तर महाविद्यालय हैं। लेकिन अधिकांश विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं अधिकांश विद्यालय शिक्षा मित्र, शिक्षा बंधु व एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कर्णप्रयाग स्नातकोत्तर विद्यालय में भी वर्षो से कई विषयों में प्रवक्ताओं की कमी बनी हुई है। प्रखंड के सिमली, रतूड़ा, केदारूखाल, चूलाकोट, बणगांव, कनखुल, स्वर्का, बसक्वाली, गैरोली, नौटी, जाख, सुमल्टा, सुनाक आदि गांवों सहित नगर पंचायत क्षेत्र कर्णप्रयाग व गौचर में पेयजल की किल्लत बनी हुई है। करोड़ों रूपये व्यय करने पर भी पेयजल योजनायें लोगों की प्यास बुझाने में कभी कामयाब नही हो पाई। प्रखंड के अधिकांश गांवों में आज भी बिजली नहीं है। जहां गौचर, सिमली, झिरकोटी, सीरी, मटियाला, बगोली, चूलागबनी, कोटी, धारकोट, थापली, रतूड़ा, खंडूरा, नौटी, सिरण, ऐरवाड़ी आदि गांवों में लो-वोल्टेज व बिजली की समस्या बनी रहती है। कपीरी क्षेत्र के सेरागाड़ में लाईन बिछने के बाद भी ग्रामींणों को बिजली के दर्शन ही नही हो पाये हैं। लो-वोल्टेज की समस्या से निपटने को विभाग ने उचित क्षमता के विद्युत ट्रांसफार्मर नही लगाये। स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति तो और भी बदतर है। नगर सहित कुछ ग्रामींण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तो हैं लेकिन इनमें मानक अनुसार चिकित्सकों, कर्मचारियों व दवाओं का अभाव बना रहता है। अधिकांश गांवों में स्वास्थ्य का जिम्मा एएनएम पर है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3825564.html
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