गोपेश्वर (चमोली)। गांव के चौबारों और स्कूल के मैदान में जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, नौ वर्ष के एक मासूम के आगे अस्पताल ही सहारा बचा है। ममता की छांव में नौनिहाल का बचपन पल तो रहा है लेकिन लाड़ले की बीमारी के आगे मां का हृदय पैसों केअभाव में नियति के हाथों मजबूर है।
चमोली तहसील के ग्राम ग्वाड़ के इस परिवार में चार भाई-बहिनों में सबसे छोटे सात वर्षीय मोहित की जिंदगी सलामत रखने के लिए दुआ करने के सिवाय अन्य कोई चारा नहीं है। मोहित के पिता रघुनाथ सिंह का पूर्व में निधन होने के बाद माता पुष्पा देवी के ऊपर दो लड़कियों तथा दो लड़कों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ पड़ी है। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार पर पहाड़ तब टूट पड़ा, जब वर्ष 2005 में मोहित की किडनी में खराबी आ गई। हालात यह है कि गोपेश्वर, श्रीनगर व कर्णप्रयाग के अस्पतालों में इलाज करने के बाद भी उसकी बीमारी बढ़ती जा रही है। मामला संवेदनशीलता से जुड़ा होने के बावजूद अभी तक किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति ने मोहित के इलाज के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। पिछले माह गोपेश्वर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट के अलावा ग्वाड़ क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सतेंद्र रावत व देवेंद्र सिंह बिष्ट आदि ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज विवेकाधीन कोष से धन स्वीकृति की मांग की। उधर, जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को बालक का इलाज करने के निर्देश दिए। जिला अस्पताल में मौजूद सुविधाओं से इतर डाक्टरों के मुताबिक मोहित के नैफ्रोटिक सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित होने के कारण उसे इलाज के लिए श्रीनगर या जौलीग्रांट अस्पताल जाना पड़ेगा।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3828126.html
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